इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का वीवीपीएटी से शत-प्रतिशत मिलान के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इस पर जल्द फैसला आने की उम्मीद है। वहीं देश में लोकसभा चुनाव का समय भी है। इसलिए ईवीएम चर्चा का विषय बन गई है। ऐसे में हर किसी में यह जिज्ञासा भी बनी है कि चुनाव में ईवीएम कैसे काम करती है। खासतौर से युवा और नए मतदाता इसमें ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं।
ईवीएम भारत में चुनाव प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग
लोकसभा चुनाव से जुड़े रोचक तथ्यों की बात करें तो ईवीएम भारत में चुनाव प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग बन गई है। यह साधारण बैटरी से चलने वाली मशीन है। ईवीएम मतदान के दौरान डाले गए वोटों को दर्ज करती है और ईवीएम वोटों की गिनती भी करती है।
एक ईवीएम में 64 उम्मीदवारों के नाम हो सकते हैं दर्ज
एक ईवीएम में 64 उम्मीदवारों के नाम दर्ज हो सकते हैं। वोटों को दर्ज करने की क्षमता की बात की जाए तो एक ईवीएम में 3840 वोटों को दर्ज किया जा सकता है।
सबसे पहले ईवीएम का इस्तेमाल साल 1982 में हुआ
यदि हम ईवीएम के सबसे पहले इस्तेमाल की बात करें तो साल 1982 में इसका उपयोग हुआ। केरल के परूर विधानसभा सीट के 50 मतदान केंद्रों पर वोटिंग करने के लिए ईवीएम का उपयोग किया गया।
2004 में लोकसभा चुनावों में ईवीएम का उपयोग किया गया
1998-99 में कुछ राज्यों की विधानसभा सीटों पर ईवीएम के द्वारा मतदान कराया गया। इसके अलावा 2003 में सभी उपचुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया। वहीं फिर पूरी तरह से 2004 में लोकसभा चुनावों में ईवीएम का उपयोग किया गया।