माइक्रोसॉफ्ट ने आंतरिक रूप से विंडोज और सरफेस टीमों का एक बार फिर विलय कर दिया है। खास बात ये है कि दोनों टीमों का नेतृत्व करने के लिए आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र पवन दावुलुरी को नियुक्त किया है। विंडोज सेंट्रल जो कि एक समाचार साइट है और माइक्रोसॉफ्ट के विकास पर नजर रखती है, उसने बताया कि यह निर्णय एक संक्षिप्त अलगाव के बाद आया है, जिसके दौरान विंडोज कुछ समय के लिए माइक्रोसॉफ्ट के नए एआई संगठन के अंतर्गत आ गया था।
23 साल से माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े पवन दावुलुरी
विंडोज और सरफेस टीमों का पुनर्मिलन राजेश झा की अध्यक्षता में माइक्रोसॉफ्ट के इंजीनियरिंग और डिवाइसेस संगठन के भीतर एक परिचित संरचना की वापसी का प्रतीक है। पवन दावुलुरी, जो पहले माइक्रोसॉफ्ट के हार्डवेयर प्रयासों की देखरेख करते थे, अब विंडोज इंजीनियरिंग की भी कमान संभालेंगे। बता दें कि पवन दावुलुरी 23 साल से माइक्रोसॉफ्ट में काम कर रहे हैं। उन्होंने मद्रास आईआईटी से पढ़ाई की है। उन्होंने बी.टेक के बाद अमेरिका की मेरीलैंड यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल की और तभी से माइक्रोसॉफ्ट के साथ जुड़ गए थे।
वैश्विक कंपनियों में भारतीय नेतृत्व का दबदबा
वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों में भारतीय नेतृत्व की भूमिका बढ़ रही है। इससे पहले मदुरै में जन्मे सुंदर पिचाई अल्फाबेट और गूगल के सीईओ हैं, वहीं माइक्रोसॉफ्ट का नेतृत्व पिछले एक दशक से हैदराबाद में जन्मे सत्या नडेला कर रहे हैं। इस सूची में आईबीएम के सीईओ अरविंद कृष्णा, पालो अल्टो नेटवर्क के निकेश अरोड़ा, यूट्यूब के नील मोहन और एडोब के शांतनु नारायण शामिल हैं।