प्रतिक्रिया | Thursday, November 21, 2024

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ATCM-46 और CEP-26 बैठक में भारत ने अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन मैत्री-II स्थापित करने की घोषणा की

भारत ने 20 मई से 30 मई तक केरल के कोच्चि में 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक (ATCM-46) और 26वीं पर्यावरण संरक्षण समिति (CEP-26) की सफलतापूर्वक मेजबानी की। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री किरेन रिजिजू ने अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन, मैत्री-II स्थापित करने की भारत की योजना की घोषणा की है। भारत ने अंटार्कटिक मामलों पर ग्लोबल बैठक में 56 देशों के 400 से अधिक प्रतिनिधियों की मेजबानी की, जिसमें विज्ञान, नीति, गवर्नेंस, लॉजिस्ट्रिक्स, संचालन, पर्यावरण प्रबंधन आदि सहित अंटार्कटिका के विभिन्न मामलों पर चर्चा करने के लिए राजनयिकों, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया।

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने आज (शुक्रवार) एक बयान में जानकारी देते हुए बताया कि भारत ने 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक (एटीसीएम-46) और 26वीं पर्यावरण संरक्षण समिति (सीईपी-26) की सफलतापूर्वक मेजबानी की। शामिल पक्षों ने अंटार्कटिक विशेष रूप से संरक्षित क्षेत्रों (एएसपीए) के लिए 17 संशोधित और नई प्रबंधन योजनाओं को अपनाया। भारतीय डाक के सहयोग से एटीसीएम-46 लोगो के साथ कस्टमाइज्ड माईस्टैम्प को जारी किया।

बता दें, एटीसीएम-46 और सीईपी-26 का आयोजन भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा गोवा के राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के माध्यम से अर्जेंटीना स्थित अंटार्कटिक संधि सचिवालय के सहयोग से किया गया। इस कार्यक्रम में पक्षों द्वारा अंटार्कटिक संधि (1959) और अंटार्कटिक संधि के लिए पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल (मैड्रिड प्रोटोकॉल, 1991) की फिर से पुष्टि की गई।

गौरतलब है कि एटीसीएम और सीईपी अंटार्कटिक मामलों के लिए महत्वपूर्ण वैश्विक मंच का आयोजन वार्षिक रूप से किया जाता है, जो पृथ्वी के सबसे प्राचीन और नाजुक ईको सिस्टम को संरक्षित करने की दिशा में सामूहिक और ठोस संवाद और कार्रवाई निर्धारित करते हैं। एक अतिरिक्त कार्य समूह ने इस वर्ष दक्षिणी श्वेत महाद्वीप के लिए पर्यटन ढांचे के विकास पर चर्चा की।

मंत्रालय ने बताया, 20 से 24 मई तक आयोजित सीईपी-26 ने अनेक विषयों पर चर्चा की और अंटार्कटिका में पर्यावरण प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन में योगदान दिया। समिति ने समुद्री बर्फ परिवर्तन के प्रबंधन निहितार्थों पर भविष्य के कार्य को प्राथमिकता देने, प्रमुख गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव आकलन को बढ़ाने, सम्राट पेंगुइन की रक्षा करने और अंटार्कटिका में पर्यावरण निगरानी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय ढांचा विकसित करने पर सहमति व्यक्त की। एटीसीएम ने अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने तथा अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा के जोखिमों को कम करने के लिए जैव सुरक्षा उपायों को मजबूती से लागू करने के काम को सुनिश्चित करने के प्रयासों को भी प्रोत्साहित किया। ये बैठकें आभासी दर्शकों के साथ व्यक्तिगत उपस्थिति की थीं।

उल्लेखनीय है एटीसीएम-46 का आयोजन वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात् एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य – की विस्तृत थीम के साथ किया गया था। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन, मैत्री-II स्थापित करने की भारत की योजना की घोषणा की। भारत ने अंटार्कटिका में अपने नए अनुसंधान केंद्र के लिए स्थल की पहचान कर ली है और प्रारंभिक स्थलाकृतिक सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। समय-सीमा से पता चलता है कि नए भारतीय अनुसंधान केंद्र का निर्माण जनवरी 2029 तक पूरा होने की उम्मीद है।

 

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आखरी अपडेट: 22nd Nov 2024