जाने-माने निवेशक मार्क मोबियस ने आज बुधवार को कहा कि भारत में केवल दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ही नहीं, बल्कि दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भी पूरी क्षमता है। उन्होंने कहा कि अगर भारत वर्तमान नीति स्थिरता और आर्थिक मजबूती के रास्ते पर चलता रहा, तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने कुछ ही वर्षों में जबरदस्त प्रगति की है और वह 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं स्थान पर पहुंच गया है। साल 2025 तक भारत अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताजा अनुमानों के मुताबिक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) इस वर्ष 4.3 ट्रिलियन डॉलर होगा, जो जापान के 4.4 ट्रिलियन और जर्मनी के 4.9 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ा पीछे है। अनुमान है कि भारत इस साल जापान को और 2027 तक जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा।
मोबियस ने बताया कि भारत के पास यह क्षमता है कि वह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सके। उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या अब चीन से ज्यादा है और चीन की जनसंख्या घटकर करीब 80 करोड़ रह गई है, जबकि भारत की जनसंख्या 1.2 अरब से अधिक है और यहां की औसत आयु भी चीन की तुलना में कम है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत आयात पर लगे टैक्स और अन्य प्रतिबंधों को हटाता है, तो देश की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में जबरदस्त उछाल आएगा और अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। मोबियस, जो एमर्जिंग मार्केट्स में निवेश करने वाले ‘मोबियस ईएम अपॉर्च्युनिटीज फंड’ चलाते हैं, का मानना है कि भारत का युवा और विशाल जनसंख्या वाला बाजार आने वाले वर्षों में बड़ी भूमिका निभाएगा।
वहीं भारतीय शेयर बाजार को लेकर भी मोबियस आशावादी नजर आए। उन्होंने कहा कि अमेरिका की व्यापार नीतियों के कारण भले ही बाजार में हाल ही में गिरावट आई हो, लेकिन उससे पहले ही भारतीय बाजार में काफी सुधार हो चुका था। उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि वे अच्छे शेयरों में धीरे-धीरे निवेश करना जारी रखें और अगर उनके पास पहले से कुछ शेयर हैं तो उन्हें बनाए रखें और बाजार की रिकवरी का इंतजार करें। इस बीच, मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिली, जिसमें केवल एक दिन में निवेशकों की कुल संपत्ति में 11 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। यह उछाल अमेरिकी टैरिफ की खबर से हुए नुकसान को पूरी तरह से मिटा चुका है और यह तेजी घरेलू निवेशकों की सकारात्मक भावना और वैश्विक संकेतों से प्रेरित रही।