पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन की सेनाएं पीछे हटना शुरू हो गई हैं। जी हां, पूर्वी लद्दाख सेक्टर के डेमचोक और देपसांग में दो टकराव बिंदुओं पर भारत और चीन के सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। इस संबंध में रक्षा अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा कि दोनों पक्षों के बीच हुए समझौतों के अनुसार, भारतीय सैनिकों ने संबंधित क्षेत्रों में पीछे के स्थानों पर अपने उपकरण वापस खींचना शुरू कर दिया है।
चार साल से अधिक समय से चल रहा सैन्य गतिरोध समाप्त
इससे पहले 21 अक्टूबर को, भारत ने घोषणा की थी कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त करने के लिए चीन के साथ समझौता कर लिया है, जिससे चार साल से अधिक समय से चल रहा सैन्य गतिरोध समाप्त हो गया है।
24 अक्टूबर को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देश समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर “जमीनी स्थिति” बहाल करने के लिए आम सहमति पर पहुंच गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें “पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और चराई” की बहाली शामिल है। रक्षा मंत्री ने संबंधों में प्रगति का श्रेय “निरंतर बातचीत में संलग्न होने की शक्ति को दिया, क्योंकि जल्द या बाद में, समाधान निकलेगा।”
भारत और चीन एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में अपने मतभेदों को सुलझाने में लगे
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दूसरे चाणक्य रक्षा संवाद में मुख्य भाषण देते हुए कहा, “भारत और चीन एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं। समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए व्यापक सहमति हासिल की गई है।”
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त व्यवस्था पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते
ज्ञात हो, बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त व्यवस्था पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते का स्वागत किया।
पीएम मोदी ने कहा- सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों की प्राथमिकता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों की प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए और आपसी विश्वास द्विपक्षीय संबंधों का आधार बना रहना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-चीन संबंध न केवल दोनों देशों के लोगों के लिए बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
दोनों देशों के बीच लंबे समय से था सीमा गतिरोध
भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध 2020 में एलएसी के साथ पूर्वी लद्दाख में शुरू हुआ, जो चीनी सैन्य कार्रवाइयों से प्रेरित था। इस घटना के कारण दोनों देशों के बीच लंबे समय तक तनाव रहा, जिससे उनके संबंधों में काफी तनाव आया।
पिछले कई हफ्तों से कूटनीतिक और सैन्य चैनलों पर हो रही थी निरंतर बातचीत
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने “पिछले कई हफ्तों से कूटनीतिक और सैन्य चैनलों पर निरंतर बातचीत के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते का स्वागत किया।”
विदेश सचिव ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा संबंधी मामलों पर मतभेदों को हमारी सीमाओं पर शांति और स्थिरता को भंग करने की अनुमति नहीं देने के महत्व को रेखांकित किया। दोनों नेताओं ने कहा कि सीमा प्रश्न के समाधान और सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने में भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।”
दोनों देशों के नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की भी समीक्षा की
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की भी समीक्षा की। विदेश सचिव ने यह भी कहा कि “सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की बहाली हमारे द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के मार्ग पर लौटने के लिए जगह बनाएगी। अधिकारी अब हमारे संबंधित विदेश मंत्रियों के स्तर सहित प्रासंगिक आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों का उपयोग करके रणनीतिक संचार को बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर चर्चा करने के लिए अगले कदम उठाएंगे।”
वहीं विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 22 अक्टूबर को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने चीन के साथ गश्त व्यवस्था पर एक समझौता किया है, जिससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति मई 2020 से पहले जैसी हो जाएगी। (इनपुट-एएनआई)