भारत ने चीन की सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इग्ला-एस मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम तैनात कर दिया है। पहली इकाई में 24 लॉन्चर और 100 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें हैं, जो हाल ही में रूस से पहली खेप के रूम में भारत को मिली हैं। कंधे पर रखकर दागी जाने वाली यह मिसाइलें 6 किमी. तक हवाई लक्ष्य को भेदने में सक्षम हैं। यानी अब भारत बहुत नजदीक से दुश्मन को मारने में सक्षम होगा।
सेना की मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के लिए इग्ला-एस का ऑर्डर पिछले साल दिया गया था। 6 किमी. तक की बेहतर मारक क्षमता के साथ इग्ला-एस पुराने सिस्टम के मुकाबले ज्यादा प्रभावी है। कंधे पर रखकर सतह से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल प्रणाली उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में दुश्मन के विमान, ड्रोन और मिसाइलों को कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए काफी है। इग्ला-एस एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल का वजन 10.8 किलोग्राम, जबकि पूरे सिस्टम का वजन 18 किलोग्राम है। मिसाइल के आगे 1.17 किलोग्राम वजन का विस्फोटक लगाया जाता है और यह अधिकतम 11 हजार फीट तक जा सकती है।
सेना ने 2021 में आपातकालीन खरीद के हिस्से के रूप में इग्ला-एस के 24 लॉन्चर और 216 मिसाइलों का ऑर्डर रूस की कंपनी रोसोबोरोन एक्सपोर्ट को दिया था। भारतीय सेना की बहुत कम दूरी की वायु रक्षा (वीएसएचओआरएडी) क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इस प्रणाली की खरीद की गई थी। भारतीय सेना को इसी सौदे की पहली खेप के रूप में 100 मिसाइलों के साथ 24 इग्ला-एस मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम मिले हैं, जिसमें बाकी को भारत में बनाया जाएगा। भारत को रूस से मिली इग्ला-एस वायु रक्षा प्रणाली की नई खेप को एलएसी पर तैनात किया गया है।
हालांकि, भारत के पास पहले से ही स्वदेशी आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) प्रणालियां, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) हैं। अब रूस से इग्ला-एस वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस (वीएसएचओआरएडी) मिलने से भारत बहुत ही नजदीक से दुश्मन को मारने में सक्षम होगा। शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस एंटी-एयरक्राफ्ट हथियारों और रणनीति का एक समूह है, जो कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों, मुख्य रूप से हेलीकॉप्टर और कम-उड़ान वाले क्लोज एयर सपोर्ट एयरक्राफ्ट की रक्षा करता है।
(इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार)