केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि भारत ने अपने पड़ोसी देशों को संकट के समय में आईएमएफ से पहले बिना किसी शर्त के वित्तीय सहायता प्रदान की है। वॉशिंगटन, डी.सी. में “ब्रेटन वुड्स संस्थानों के 80 साल : अगले दशक के लिए प्राथमिकताएं” विषय पर आयोजित एक पैनल चर्चा के दौरान वित्त मंत्री सीतरमण ने इस बात पर जोर दिया कि पड़ोसी देशों को भारत की यह मदद जिम्मेदारी की भावना से प्रेरित थी, न कि किसी शर्त से बंधी हुई।
भारत ने जरूरतमंद देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में की मदद : निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “IMF के पहुंचने से पहले ही हमने अपने पड़ोसी देशों को बिना शर्त के आर्थिक मदद दी है। मैं यहां कोई रकम नहीं बताऊंगी, क्योंकि मेरे पड़ोसी मेरे लिए बहुत प्रिय हैं।” उन्होंने बताया कि भारत ने संकट के समय जरूरतमंद देशों की मदद की और इस सहायता का इस्तेमाल बुनियादी ढांचे के विकास में किया गया, खासकर अफ्रीकी देशों में जहां संस्थान, पुल, सचिवालय और रेलवे स्टेशन बनाना आदि महत्वपूर्ण विकास शामिल है।
वित्त मंत्री ने ग्लोबल साउथ के साथ एकजुटता पर जोर देते हुए कहा कि कई मामलों में जिन देशों को सहायता प्रदान की गई वे इस राशि को वापस करने की स्थिति में नहीं थे, फिर भी भारत ने बिना किसी शोर-शराबे के मदद जारी रखी। उन्होंने विश्वास जताया कि ग्लोबल साउथ हमारे साथ रहेगा और हम उन्हें सहायता देना जारी रखेंगे। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा IMF जैसी वैश्विक वित्तीय संस्थाओं की प्रतिक्रिया संकट के समय धीमी होती है, जबकि भारत ने तुरंत अपने पड़ोसी देशों की मदद की। इस पैनल चर्चा में सीतारमण के साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लॉरेंस समर्स, स्पेन के वित्त मंत्री कार्लोस क्यूरपो, और मिस्र की योजना मंत्री रानिया ए. अल मशात जैसे नेता भी शामिल रहे।
वॉशिंगटन में पैनल चर्चा के अलावा, सीतारमण IMF और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों में भी भाग लेंगी, साथ ही G20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नर्स की बैठक और अन्य उच्चस्तरीय चर्चाओं में शामिल होंगी। इसके अलावा, वह ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड और जर्मनी के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगी।