प्रतिक्रिया | Thursday, February 06, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

06/01/25 | 11:02 am

printer

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो रेल नेटवर्क वाला देश, मेट्रों ने शहरों में लोगों के रहने और आने-जाने का बदला तरीका

भारत में मेट्रो रेल नेटवर्क का तेजी से विस्तार हो रहा है। देश में मेट्रो रेल नेटवर्क की कुल लंबाई बढ़कर 1000 किमी तक पहुंच गई है। इस बड़े नेटवर्क के साथ, भारत अब चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो रेल नेटवर्क वाला देश बन गया है। देश के 11 राज्यों और 23 शहरों में 1,000 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी तय करने वाली मेट्रो प्रणाली पर लाखों लोग तेज़, आसान और किफ़ायती यात्रा के लिए भरोसा करते हैं। दरअसल मेट्रो सिर्फ़ घूमने-फिरने का ज़रिया नहीं है – यह शहरों में हमारे रहने और आने-जाने का तरीका बदल रही है। मेट्रो प्रणाली ने भारत में यात्रा को परिवर्तनकारी अनुभव बना दिया है।

आइये अब आपको भारत में मेट्रो के इतिहास के बारे में बताते हैं।

1969 में मेट्रो सिस्टम की पहल शुरुआत

उल्लेखनीय हो, मेट्रो प्रणालियों के गलियारों और लेन ने भारत में शहरी यात्रा को नया रूप दिया है, जिसकी यात्रा1969 में मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के माध्यम से मेट्रो सिस्टम की पहल शुरू की गई थी। हालाँकि, पहले कदम को हकीकत बनने में लगभग दो दशक लग गए।

पहली मेट्रो लाइन साल 1984 कोलकाता में खुली

भारत में पहली मेट्रो लाइन साल 1984 कोलकाता में खुली, जो एस्प्लेनेड और भवानीपुर के बीच 3.4 किलोमीटर लंबी थी। यह भारत में मेट्रो जीवन की शुरुआत थी। साल 1995 में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की स्थापना दिल्ली में विश्व स्तरीय मास रैपिड ट्रांसपोर्ट लाने के लिए की गई थी। केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार की संयुक्त भागीदारी से इस परियोजना को गति मिली।

दिल्ली ने 2002 में अपनी मेट्रो यात्रा की शुरुआत की

आपको बता दें दिल्ली ने 2002 में अपनी मेट्रो यात्रा की शुरुआत की थी, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली के लोगों को पहली मेट्रो दी और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली वासियों को नई मेट्रो परियोजनाओं और नमो भारत का उपहार दे रहे हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में इसका परिवर्तन और विस्तार अभूतपूर्व रहा है, खासकर 2014 के बाद से।

चेन्नई मेट्रो का विस्तार

2011 में नम्मा मेट्रो (बेंगलुरु मेट्रो) का पहला खंड बनाया गया। वहीं, 2017 में ग्रीन लाइन पर कोयम्बेडु से नेहरू पार्क तक अपने पहले भूमिगत खंड के उद्घाटन के साथ चेन्नई मेट्रो का विस्तार हुआ, जो दक्षिणी भारत के मेट्रो विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। साल 2020 में कोच्चि मेट्रो का पहला चरण पूरा हुआ, जिसमें थायकुडम-पेट्टा खंड चालू हुआ, जिससे केरल भारत में बढ़ते मेट्रो नेटवर्क का हिस्सा बन गया।

मेट्रो सिस्टम में उन्नति

गौरतलब हो, देश में मेट्रो का विस्तार सिर्फ़ ज़मीनी परिवहन तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि भविष्य के लिए नए-नए समाधान भी अपनाए जा रहे हैं। नदी के नीचे सुरंगों से लेकर चालक रहित ट्रेनों और जल मेट्रो तक, भारत आधुनिक शहरी गतिशीलता में नए मानक स्थापित कर रहा है।

कोलकाता में भारत का पहला अंडरवाटर मेट्रो

6 मार्च 2024 में पीएम मोदी ने कोलकाता में भारत की पहली अंडर-वाटर मेट्रो सुरंग का उद्घाटन किया, जहाँ एस्प्लेनेड-हावड़ा मैदान खंड हुगली नदी के नीचे से गुज़रता है। उन्होंने एस्प्लेनेड-हावड़ा मैदान मेट्रो मार्ग पर मेट्रो की सवारी की थी, जो कोलकाता में भारत का पहला अंडरवाटर मेट्रो है।

पहली चालक रहित मेट्रो

भारत ने दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर 28 दिसम्बर, 2020 को, अपनी पहली चालक रहित मेट्रो सेवा शुरू की, जिसने सार्वजनिक परिवहन में स्वचालन के लिए एक नया मानक स्थापित किया।

पहली जल मेट्रो केरल के कोच्चि में

25 अप्रैल 2023 को केरल के कोच्चि में भारत की पहली जल मेट्रो परियोजना शुरू की गई, जो शहर के आसपास के 10 द्वीपों को इलेक्ट्रिक हाइब्रिड नावों से जोड़ेगी। गौरतलब हो कोच्चि जल मेट्रो एक मेड इन इंडिया परियोजना है। यह अभूतपूर्व पहल निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है, जिसमें पहली नाव दिसम्बर 2021 में शुरू की गई थी।

प्रमुख शहरों में मेट्रो प्रणालियों में इन प्रमुख विकासों ने विशाल और कुशल मेट्रो नेटवर्क की नींव रखी जो आज लाखों लोगों को जोड़ती है।

भारत 2022 में मेट्रो रेल परियोजनाओं में जापान से आगे निकल गया

भारत 2022 में मेट्रो रेल परियोजनाओं में जापान से आगे निकल गया है। वर्तमान में, भारत परिचालन मेट्रो नेटवर्क की लंबाई में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बनने की राह पर है। आज 11 राज्यों के 23 शहरों में मेट्रो रेल नेटवर्क है। 2014 में यह केवल 5 राज्यों और 5 शहरों में था। आज मेट्रो में प्रतिदिन एक करोड़ से ज्यादा लोग यात्रा करते हैं, जो 2014 के 28 लाख यात्रियों की तुलना में 2.5 गुना अधिक बढ़ोतरी है।

दिल्ली मेट्रो फेज-IV के 2.8 किलोमीटर लंबे हिस्से का शुभारंभ

कल रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेट्रो नेटवर्क को बढ़ाने में एक बड़ी छलांग लगाई, जिससे यह और भी शक्तिशाली और उन्नत बन गया। उन्होंने दिल्ली में 12,200 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं की नींव रखी, जिसमें दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के 13 किलोमीटर लंबे हिस्से का उद्घाटन भी शामिल है, जिससे दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा करना बेहद आसान हो जाएगा।

इसके अलावा, पीएम ने पश्चिमी दिल्ली को लाभ पहुँचाने वाले दिल्ली मेट्रो फेज-IV के 2.8 किलोमीटर लंबे हिस्से का शुभारंभ किया और 26.5 किलोमीटर लंबे रिठाला-कुंडली सेक्शन की नींव रखी, जिससे दिल्ली और हरियाणा के बीच कनेक्टिविटी और मजबूत होगी।

वर्तमान में बांग्लादेश में मेट्रो प्रणाली के कार्यान्वयन की देखरेख कर रहा है

घरेलू प्रगति के साथ-साथ, मेट्रो रेल प्रणालियों में भारत की विशेषज्ञता में अंतर्राष्ट्रीय रुचि बढ़ रही है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) वर्तमान में बांग्लादेश में मेट्रो प्रणाली के कार्यान्वयन की देखरेख कर रहा है और उसने जकार्ता में परामर्श सेवाएँ प्रदान की हैं। इज़राइल, सऊदी अरब (रियाद), केन्या और अल साल्वाडोर जैसे देश भी अपनी मेट्रो विकास परियोजनाओं के लिए डीएमआरसी के साथ सहयोग की संभावना तलाश रहे हैं।

मेट्रो ट्रेनें प्रतिदिन कुल 2.75 लाख किलोमीटर की यात्रा करती हैं

मेट्रो ट्रेनें आज प्रतिदिन कुल 2.75 लाख किलोमीटर की यात्रा करती हैं, जो एक दशक पहले के रोजाना 86 हजार किलोमीटर का तीन गुना है। प्रधानमंत्री मोदी के विजन के तहत, केंद्र सरकार लाखों नागरिकों के लिए यात्रा की सुविधा और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए निर्बाध, किफायती और आधुनिक शहरी परिवहन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

दरअसल देश की मेट्रो प्रणाली ने कोलकाता में पहले कदम से लेकर आज देखी जाने वाली उन्नत तकनीकी विशेषताओं तक का लंबा सफर तय किया है। शहरों में फैलती परियोजनाओं और चालक रहित ट्रेनों और नदी के नीचे सुरंगों जैसे नवाचारों के साथ, मेट्रो नेटवर्क न केवल यात्रा को नया रूप दे रहा है, बल्कि टिकाऊ शहरी विकास में भी योगदान दे रहा है।

 

 

 

 

आगंतुकों: 16800548
आखरी अपडेट: 6th Feb 2025