प्रतिक्रिया | Thursday, May 01, 2025

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ग्लोबल जियो-पॉलिटिक्स की चौसर पर भारत की बड़ी चाल, विदेश नीति का मनवाया लोहा

बीते हफ्ते अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपनी 4 दिवसीय भारत की यात्रा पर रहे, यह यात्रा कई मायनों में बेहद अहम है। पहलगाम आतंकी हमले के चलते भले ही जेडी वेंस की इस यात्रा पर ख़ास चर्चा नहीं हो पाई लेकिन असल में आने वाले समय में भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों को मजबूती देने से लेकर कई मोर्चों पर रणनीतिक हल निकलेंगे। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, उषा वेंस और उनके बच्चे भारत की संस्कृत से रुबरू हुए। उन्होंने जयपुर के आमेर किला से लेकर आगरा का ताजमहल भी देखा, यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा। यह यात्रा ग्लोबल जियो-पॉलिटिक्स में भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाती है और भारत की कुशल कूटनीति का जीता जागता उदाहरण है।

बदलती जियो-पॉलिटिक्स और भारत

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यात्रा ऐसे महत्वपूर्ण समय में हुई, जब ग्लोबल पॉवर के डायनामिक्स बदल रहे हैं, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में। यह यात्रा भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए अमेरिका के इंट्रेस्ट की भी पुष्ट करती है, खासकर तब जब दोनों देश मुखर होकर चीन द्वारा पेश की जा रही चुनौतियों का खुलकर सामना कर रहे हैं।

आर्थिक और व्यापार सहयोग

इस यात्रा का एक केंद्रीय एजेंडा आर्थिक सहयोग को मजबूत करना भी है। भारत और अमेरिका एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसका लक्ष्य 2030 तक व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है। इस यात्रा पर दुनिया की नजर सबसे अधिक इस बात को लेकर है कि वेंस के लौटने के बाद टैरिफ को लेकर कोई निष्कर्ष निकल सकता है। यह एक ऐसा कदम होगा जो दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है। यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका चीन के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर वैकल्पिक व्यापार साझेदारी की तलाश कर रहा है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ख़ुद पहले ही भारत को अच्छा साझीदार बता चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक मुद्दों पर मोदी सरकार की सक्रिय भागीदारी वैश्विक भागीदारों के साथ जुड़कर भारत की आर्थिक शक्ति को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

‘डिफेंस प्रोडक्शन पार्टनरशिप’ पर बनेगी बात?

जेडी वेंस की भारत यात्रा का एक अन्य आधार रक्षा और स्वच्छ ऊर्जा सहयोग को बढ़ाना भी है। आने वाले समय में उन्नत अमेरिकी रक्षा उपकरणों की खरीद और ‘डिफेंस प्रोडक्शन पार्टनरशिप’ को बल मिलने की भी संभावना है। ऊर्जा के मोर्चे पर, अमेरिका ने परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और सस्टेनेबल बुनियादी ढांचे में निवेश के माध्यम से भारत के ‘क्लीन एनर्जी’ विजन का समर्थन करने की पहले ही पेशकश कर दी है। यह सहयोग न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि एनर्जी सिक्योरिटी की दिशा में बढ़ा कदम साबित हो सकता है।

वीजा और इमिग्रेशन पॉलिसी का हल?

भारत लंबे समय से अमेरिकी इमिग्रेशन इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर रहा है, यही वजह है कि लगभग 70% H-1B वीज़ा भारतीय पेशेवरों को दिए गए हैं। माना जा रहा है कि अब अमेरिकी उपराष्ट्रपति की यात्रा के बाद, इमिग्रेशन पॉलिसी और वीज़ा पर कुछ सकारात्मक निर्णय हो सकते हैं और मौजूदा दौर में उभरीं अनिश्चितताओं को दूर किया जा सकता है। अगर इस मसले पर कोई सकारात्मक हल निकलता है तो भारतीय प्रतिभाओं को एक बार फिर स्थिर समाधान मिल सकता है। इन मामलों में सकारात्मक बदलाव भारत की बढ़ती तकनीकी और सर्विस इंडस्ट्री के लिए संजीवनी साबित हो सकते हैं। इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान विदेशों में भारतीय पेशेवरों के लिए एक मजबूत वकालत को दर्शाता है।

इंडो-पैसिफिक रणनीति और सुरक्षा

इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका दुनिया मान रही है। क्वाड गठबंधन (अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ) के सदस्य के रूप में, भारत इस क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख साझेदार है। उपराष्ट्रपति वेंस द्वारा क्वाड के लिए समर्थन की पुष्टि दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक विश्वास का संकेत देती है। वेंस ने क्वाड शिखर सम्मेलन के आगामी मेज़बान के तौर पर भारत की जमकर प्रशंसा की, उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के साथ अधिक संयुक्त सैन्य अभ्यास करता है किसी भी अन्य देश की तुलना में।

सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक आयाम

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यात्रा के दौरान उनकी पत्नी पत्नी उषा वेंस की उपस्थिति भी अहम रही, क्योंकि उषा वेंस भारतीय मूल की हैं। शायद यही वजह रही कि जेडी वेंस ने इस यात्रा के दौरान भारत के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण किया। दिल्ली के अक्षरधाम से लेकर आगरा के ताजमहल तक जेडी ने अपने परिवार के साथ भारतीय पर्यटन का आनंद लिया साथ ही भारत की सांस्कृतिक विरासत को भी नज़दीक से समझना। जानकार इसे दो देशों के बीच सांस्कृतिक कूटनीतिक उपलब्धि के तौर पर देख रहे हैं।

विदेश नीति का लोहा

जहां एक तरफ़ अमेरिका दुनिया के तमाम देशों को आँख दिखाने से नहीं चूक रहा वहीं अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भारत यात्रा अपने आप में बड़ी कूटनीतिक बढ़त है। टैरिफ, इमिग्रेशन और तकनीक ट्रांसफर जैसे मुद्दों पर बातचीत करने के लिए सरकार की तत्परता व्यावहारिक और दूरदर्शी विदेश नीति को दर्शाती है। कुल मिलाकर उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यात्रा एक औपचारिक मुलाकात से कहीं अधिक – अमेरिका-भारत संबंधों के विकास में एक बड़ा रणनीतिक क्षण है। यह भारत के बढ़ते वैश्विक कद की पुष्टि करता है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में स्थापित करने के मोदी सरकार के प्रयासों को मान्यता प्रदान करता दिखता है। व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और ग्लोबल गवर्नेंस के जरिए आपसी हितों के साथ, यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया अध्याय शुरू कर सकती है, जो दोनों देशों के लिए अवसरों और संभावनाओं से भरा है।

(लेखक के पास मीडिया जगत में लगभग डेढ़ दशक का अनुभव है, वे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में काम कर चुके हैं)

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आखरी अपडेट: 1st May 2025