केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII)) के भारत-भूमध्यसागरीय व्यापार सम्मेलन 2024 में कहा कि भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारत की समुद्री सुरक्षा और यूरोप और एशिया के बीच माल की तेज़ आवाजाही को बढ़ा सकता है। इस अवसर पर पीयूष गोयल ने सुझाव दिया कि सरकार को भूमध्यसागरीय देशों और भारत के बीच पर्यटन पर एक कार्य समूह बनाना चाहिए क्योंकि दोनों देशों के बीच सहयोग और पारस्परिक लाभ की बहुत संभावना है। बता दें, आईएमईसी (IMEC), एक प्रस्तावित आर्थिक गलियारा है, जिसका उद्देश्य एशिया, फारस की खाड़ी और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
सम्मेलन में अपने संबोधन में वाणिज्य मंत्री ने कहा कि आईएमईसी की शुरुआत भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान की गई थी और इसका उद्देश्य यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजरायल और यूरोपीय संघ के माध्यम से भारत, यूरोप, मध्य-पूर्व को एकीकृत करना है। पीयूष गोयल ने कहा कि कम लॉजिस्टिक्स लागत, तेज़ संपर्कता और सामान का सुरक्षित आवागमन इस क्षेत्र में बेहतर सहयोग पर निर्भर है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएलआई योजना, एफटीए और आर्थिक साझेदारी के माध्यम से व्यापार करने में आसानी (EoDB) की दिशा में केंद्र के प्रयासों ने भारत की विनिर्माण विकास कहानी को बढ़ावा दिया है और कृषि-मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के देश के प्रयास भारत और भूमध्यसागरीय देशों के बीच पहल का समर्थन कर सकते हैं।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने आगे कहा कि केंद्र पत्तनों के विकास में बहुत बड़ा अवसर देखता है और पिछले दशक में पत्तनों की क्षमता को दोगुना कर दिया है और हमें अगले 5 वर्षों में पत्तनों की क्षमता को दोगुना करने की उम्मीद है। पीयूष गोयल ने कहा, “भारत-भूमध्यसागरीय साझेदारी के प्रति आशावादी हैं, भूमध्यसागरीय देशों तथा भारत के लिए आर्थिक समृद्धि और पारस्परिक विकास की दिशा में काम करेंगे, ताकि सभी के लिए अधिक स्वच्छ, सतत, अधिक लचीला, सुरक्षित, समावेशी और उज्जवल भविष्य सुनिश्चित हो सके।”
पीयूष गोयल ने सुझाव दिया कि सरकार को भूमध्यसागरीय देशों और भारत के बीच पर्यटन पर एक कार्य समूह बनाना चाहिए क्योंकि दोनों देशों के बीच सहयोग और पारस्परिक लाभ की बहुत संभावना है। उन्होंने कहा कि भारत, भूमध्यसागरीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक बड़ा बाजार प्रदान करता है क्योंकि दोनों देशों के बीच दशकों से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। भारत और भूमध्यसागरीय देशों का नौवहन क्षेत्र में बहुत बड़ा साझा हित है, चाहे वह जहाज निर्माण, स्वामित्व, समुद्री क्षेत्र या क्रूज व्यवसाय में हो।