भारत ने बाकू, अजरबैजान में 11-22 नवंबर तक आयोजित CoP-29 जलवायु सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी दिखाते हुए अपनी जलवायु कार्रवाई प्रतिबद्धता को मजबूत तरीके से प्रस्तुत किया। भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और भागीदारों के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण पहल और नीतियां साझा कीं, जो जलवायु चुनौतियों का सामना करने में सहायक हैं।
एक सत्र के दौरान भारत ने राष्ट्रीय अनुकूलन रणनीतियों में आपदा-रोधी बुनियादी ढांचे को शामिल करने पर जोर दिया। इसमें बताया गया कि अनुकूलन लागत का 88% हिस्सा बुनियादी ढांचे से संबंधित है। कार्यक्रम में IRIS और GIRI जैसे पहलों को प्रस्तुत किया गया, जो देशों को तकनीकी सहायता, डेटा और वित्तीय तंत्र प्रदान कर बुनियादी ढांचे को अधिक टिकाऊ और लचीला बनाने में मदद कर रहे हैं।
भारत ने स्वीडन के साथ LeadIT सदस्य बैठक का आयोजन किया, जिसमें उद्योगों को कम कार्बन उत्सर्जन की दिशा में काम करने में आ रही चुनौतियों पर चर्चा की गई। भारतीय कंपनियों जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और SAIL ने हाइड्रोजन-आधारित तकनीकों, कार्बन कैप्चर और बायोमास के उपयोग जैसे उपायों पर अपने विचार साझा किए। चर्चा में यह भी बताया गया कि उद्योगों में उत्सर्जन को कम करते हुए विकास को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।
भारत-स्वीडन इंडस्ट्री ट्रांजिशन पार्टनरशिप की प्रगति का आकलन करते हुए दोनों देशों ने CoP-30 तक ठोस परिणाम देने का संकल्प किया। इस कार्यक्रम ने ब्राजील-यूके हाइड्रोजन हब्स जैसी अन्य वैश्विक पहलों को भी के योगदान को सराहा जो औद्योगिक बदलाव को टिकाऊ बनाने के लिए सहायक हैं।
भारत ने IRIS पहल के माध्यम से जलवायु वित्त और बुनियादी ढांचे की मजबूती पर ध्यान केंद्रित किया गया। SAGAR और फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन जैसी पहल को छोटे विकासशील द्वीप (SIDS) के लिए सहायक ढांचा बताया गया।
भारत ने ग्लोबल साउथ के लिए सौर ऊर्जा की क्षमता पर जोर दिया
ऊर्जा परिवर्तन पर एक सत्र के दौरान भारत और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) ने ग्लोबल साउथ के लिए सौर ऊर्जा की क्षमता पर जोर दिया। पैनल ने 2050 तक सौर ऊर्जा अपनाने में 20 गुना वृद्धि का आह्वान किया और नवीकरणीय ऊर्जा को आर्थिक स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा और उत्सर्जन में कमी के लिए महत्वपूर्ण बताया।
LeadIT शिखर सम्मेलन के पांचवें वार्षिक आयोजन में भारत और स्वीडन के मंत्रियों ने औद्योगिक डिकर्बोनाइजेशन पर हुई प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर एक रिपोर्ट लॉन्च की गई, जिसमें पेरिस समझौते के अनुरूप भारी उद्योगों को बदलने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत ने महिला-नेतृत्व वाले सौर ऊर्जा समाधानों को भी बढ़ावा दिया, जिसमें यह दिखाया गया कि कैसे स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएं न केवल रोजगार पैदा कर सकती हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी मदद कर सकती हैं।