उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि भारत का लक्ष्य शांति निर्माण, शांति की स्थापना और जलवायु परिवर्तन पहल के माध्यम से एक रचनात्मक वैश्विक शक्ति बनना है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आज नई दिल्ली में भारत के मूल मूल्य, रुचियां और उद्देश्य विषय पर 64वें राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज (एनडीसी) पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित किया। विश्व में सकारात्मक भूमिका निभाने के भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जी20 की अध्यक्षता के दौरान भी भारत ने सतत विकास दर पर केंद्रित वैश्विक प्रगति को मानव केंद्रित किए जाने पर जोर दिया और विविधता में एकता पर बल दिया।
भारत पूरी दुनिया के लिए सुख की कामना करता है
उपराष्ट्रपति ने इस बात को भी रेखांकित किया कि भारत सबके सुख की कामना करता है और विश्व को एक परिवार के तौर पर मानता है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने ‘वैश्विक दक्षिण’ की आवाज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का पोषण करते हुए समावेशी विकास, शांति और सार्वभौमिक कल्याण भारतीय दर्शन के केंद्र में है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत अपनी भाषा, धर्म और नस्लीय विभिन्नता का उत्सव मनाता है। यहां समानता और स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है। भारत की विदेश नीति भी इसी तरह अन्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता संप्रभुता का सम्मान करते हुए संघर्ष व प्रतिस्पर्धा पर बातचीत को प्रधानता देने पर जोर देती है।
हम लैंगिक समानता के प्रति प्रतिबद्ध
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम लैंगिक समानता के प्रति प्रतिबद्ध हैं और यह अर्थव्यवस्था और सामाजिक मूल्यों के साथ-साथ सद्भाव के लिए भी महत्वपूर्ण है। हम महिलाओं को सशक्त बनाने को एक कदम आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्व में सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। उन्होंने हाल ही में संसद से पारित महिला आरक्षण विधेयक का भी इस दौरान जिक्र किया।