देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित दक्षिण एशिया के सबसे बड़े समुद्री विचार मंच सागरमंथन : द ओशन डायलॉग का आज मंगलवार को सफलतापूर्वक समापन हुआ। इसे बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था। दो दिन चले इस कार्यक्रम में समुद्री अर्थव्यवस्था, स्थिरता और तकनीकी प्रगति पर चर्चा करने के लिए वैश्विक नीति निर्माताओं, विचारकों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि भारत 2030 तक दुनिया के शीर्ष 10 जहाज निर्माण करने वाले देशों में अपनी जगह बना लेगा और 2047 तक शीर्ष पांच में पहुंचने का लक्ष्य रखता है। उन्होंने कहा, “हमारे पास प्रतिभाशाली लोगों और संसाधनों की भरपूर क्षमता है। हम आधुनिकीकरण, डिजिटलीकरण और मशीनीकरण के जरिए जहाज निर्माण उद्योग में अग्रणी बनने के लिए तैयार हैं।”
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाइजीरिया से अपने विशेष संदेश में सागरमंथन की सराहना की और इसे वैश्विक समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “चाहे हिंद महासागर हो या इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, हमारी मुक्त, खुली और सुरक्षित समुद्री नेटवर्क की दृष्टि पूरी दुनिया में गूंज रही है। यह संवाद एक समृद्ध और जुड़ी हुई दुनिया के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।”
केंद्रीय मंत्री ने सागर में स्थिरता और सर्कुलर ब्लू इकोनॉमी पर दिया जोर
कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने सागर में स्थिरता और सर्कुलर ब्लू इकोनॉमी पर जोर दिया। विशेषज्ञों ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने, हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने और तटीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिए नई नीतियों और समाधानों पर चर्चा की। वहीं वैश्विक विशेषज्ञों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग, वैकल्पिक ईंधन के लिए नियमों की आवश्यकता और समुद्री कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया।
पुर्तगाल के रूबेन एइरास ने जहाज संचालन को बेहतर बनाने में AI की भूमिका को उजागर किया जबकि ऑस्ट्रेलिया के डावून जंग ने वैकल्पिक ईंधन के लिए नियम विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। नॉर्वे, नीदरलैंड्स और पनामा जैसे देशों के विशेषज्ञों ने भारत के साथ अपने अनुभव साझा किए और टिकाऊ जहाज निर्माण के तरीके बताए।