भारत अगले साल 2026 में कॉमनवेल्थ देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों का 28वां सम्मेलन (CSPOC) आयोजित करेगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह घोषणा ग्वेर्नसे में आयोजित सीएसपीओसी की स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता करने के दौरान की। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य संसदों को अधिक प्रभावी,पारदर्शी और समावेशी बनाना होगा। वहीं सम्मेलन में बुद्धिमत्ता (AI) और सोशल मीडिया के उचित उपयोग पर प्रमुख जोर होगा।
लोकसभा अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में हो रहे व्यापक बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप इकोसिस्टम में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने बताया कि कृषि, फिनटेक, एआई, अनुसंधान और नवाचार जैसे क्षेत्रों में भारत तेजी से प्रगति कर रहा है। भारत का विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा और सेवा क्षेत्र भी इस विकास को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2025 में भारत आने वाले गणमान्य व्यक्ति देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक प्रगति का अनुभव करेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष ने संसदों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और साइबर अपराध जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में संसदों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने संसदों को लोकतंत्र के संरक्षक, लोक कल्याण के संवाहक और सुशासन को बढ़ावा देने वाला मंच बताया। बिरला ने संसदीय संस्थाओं से गरीबी, असमानता और कुपोषण जैसी समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
ओम बिरला ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि भारत को इस सम्मेलन की मेजबानी का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और समावेशिता को दुनिया के साथ साझा करने का एक अनूठा मौका होगा। उन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) के भारतीय दर्शन को वैश्विक सहयोग का आधार बताते हुए इसे आज के समय में प्रासंगिक बताया।
ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि संसदों को सतत विकास और सुशासन को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने सांसदों से नीतियां बनाने और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करते हुए एक न्यायसंगत और समावेशी भविष्य का निर्माण करने का आग्रह किया। उन्होंने राष्ट्रमंडल देशों के सभी पीठासीन अधिकारियों को नई दिल्ली में 28वें CSPOC में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और उम्मीद जताई कि सम्मेलन में वैश्विक समस्याओं पर सार्थक संवाद और समाधान के लिए संयुक्त प्रयास होंगे।