भारत का कोयला उत्पादन चालू वित्त वर्ष की अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 की अवधि में 5.88 प्रतिशत बढ़कर 830.66 मिलियन टन (एमटी) हो गया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 784.51 मिलियन टन था। यह जानकारी कोयला मंत्रालय द्वारा दी गई।
जनवरी 2025 के दौरान कुल कोयला उत्पादन बढ़कर 104.43 एमटी हो गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान दर्ज किए गए आंकड़े 100.05 एमटी से 4.38 प्रतिशत अधिक है। बीते महीने कैप्टिव, कमर्शियल और अन्य जगहों से निकाले जाने वाले कोयले में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है और उत्पादन 31.07 प्रतिशत बढ़कर 19.68 एमटी हो गया है, जो कि इससे पिछली अवधि में 15.01 एमटी था।
थर्मल प्लांट्स तक पहुंचने वाले कोयले में भी जनवरी में बढ़त देखने को मिली है और जनवरी में यह 6.31 प्रतिशत बढ़कर 92.40 एमटी हो गया है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 86.92 एमटी था। कैप्टिव और अन्य जगहों से थर्मल प्लांट्स में पहुंचने वाला कोयला जनवरी 2025 में बढ़कर 17.72 एमटी हो गया है, जो कि पिछले साल की सामन अवधि में 13.64 एमटी था। यह सालाना आधार पर 29.94 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है।
संचयी रूप से जनवरी 2025 में थर्मल प्लांट्स तक 843.75 एमटी कोयला पहुंचा है, जो कि सालाना आधार पर 5.73 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 798.02 एमटी था। सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि जनवरी 2025 तक वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कैप्टिव और वाणिज्यिक खदानों से कुल कोयला उत्पादन बढ़कर 150.25 एमटी हो गया है, पिछले पूरे वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 147.12 एमटी था। यह उत्पादन में मजबूत वृद्धि को दिखाता है।
बयान में आगे कहा गया कि कोयला मंत्रालय ने तीन नई खदानों – भास्करपारा, उत्कल ई, और राजहरा उत्तर (मध्य और पूर्वी) के लिए खदान खोलने की अनुमति प्रदान की है। फेयरमाइन कार्बन प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित राजहरा उत्तर (मध्य और पूर्वी) झारखंड की पहली वाणिज्यिक कोयला खदान है। यह कदम कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन की भूमिका को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।