भारत को क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन की दिशा में विश्व स्तर पर मान्यता मिली है। देश में वर्ष 2015 से 2023 तक टीबी की घटनाओं में 17.7 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2024 के अनुसार यह दर वैश्विक औसत गिरावट 8.3 प्रतिशत से दोगुनी है। इसके अलावा पिछले 10 वर्षों में भारत में टीबी के कारण होने वाली मौतों में भी 21.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है।
यह मील का पत्थर भारत के राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के प्रभाव को उजागर करता है। यह एक व्यापक रणनीति है जो 2025 तक टीबी उन्मूलन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक निदान, निवारक देखभाल, रोगी सहायता और क्रॉस-सेक्टर साझेदारी को जोड़ती है। एक समय ऐसा भी था जब टीबी को ‘धीमी गति से होने वाली मौत’ माना जाता था। किसी व्यक्ति के टीबी होने का पता चलते ही, टीबी से पीड़ित परिवार के सदस्यों को भी इसके प्रसार को रोकने के लिए अलग कर दिया जाता था। भारत में वर्ष 1962 से, टीबी के खिलाफ कई अभियान चलाए गए, लेकिन 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतत विकास लक्ष्यों की 2030 की समय सीमा से बहुत पहले टीबी को समाप्त करने का विज़न रखा।
“2025 तक टीबी उन्मूलन” के लिए सरकार की प्रतिबद्धता
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों पर हस्ताक्षर करने वाले देश के रूप में भारत ने 2030 की एसडीजी समयसीमा से पांच साल पहले 2025 तक “टीबी उन्मूलन” लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च 2018 में नई दिल्ली में आयोजित “टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन” के दौरान “2025 तक टीबी उन्मूलन” के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पहली बार व्यक्त किया था और विश्व टीबी दिवस 2023 पर वाराणसी में “वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन” में इसकी पुष्टि की गई थी। इस शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री ने टीबी के लिए निर्णायक और पुनर्जीवित प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त, भारत गांधीनगर घोषणापत्र का एक हस्ताक्षरकर्ता है, (स्वास्थ्य मंत्रियों और डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा संयुक्त घोषणा) जिस पर अगस्त 2023 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 2030 तक टीबी उन्मूलन के लिए “स्थायी, त्वरित और नवाचार” पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक में हस्ताक्षर किए गए थे।
देश में टीबी रोग को समाप्त करने की रणनीतियाँ और लक्ष्य
आपको बता दें भारत में टीबी सेवाओं को रोगी-अनुकूल और विकेंद्रीकृत बनाने के लिए बहुत सी नई रणनीतियां अपनाई गई हैं। वर्तमान समय में टीबी का पता समय से पहले ही चल जाता है। सरकार ने 2014 में प्रयोगशालाओं की संख्या 120 से बढ़ाकर आज 8,293 प्रयोगशालाओं तक करके नैदानिक सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है। केंद्र सरकार ने दवाओं के प्रति संवेदनशील टीबी के लिए एक नई छोटी और अधिक प्रभावी व्यवस्था सहित दैनिक आहार शुरू किया है, जिससे टीबी के उपचार की सफलता दर 87 प्रतिशत तक बढ़ गई है। सरकार अपने टीबी उन्मूलन प्रयासों को और मजबूत करने के लिए गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज के साथ काम कर रही है।
वहीं दूसरी ओर एसडीजी लक्ष्य 3.3 का टारगेट एड्स, तपेदिक, मलेरिया और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों की महामारियों को समाप्त करना तथा हेपेटाइटिस, जल-जनित रोगों और अन्य संचारी रोगों से 2030 तक निपटना है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (यूएन-एसडीजी) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत ने एसडीजी की समय सीमा 2030 से पांच वर्ष पहले ही 2025 तक “टीबी को समाप्त” करने के लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य के अंतर्गत टीबी के संकेतक इस प्रकार हैं:
- 2015 के स्तर की तुलना में टीबी की घटना दर (प्रति लाख जनसंख्या पर नए मामले) में 80% की कमी।
- 2015 के स्तर की तुलना में टीबी मृत्यु दर में 90% की कमी।
- टीबी रोग के कारण विनाशकारी व्यय का सामना करने वाले शून्य टीबी प्रभावित परिवार।
देश में टीबी के खिलाफ लड़ाई में एक प्रमुख भूमिका में हरियाणा
भारत के टीबी उन्मूलन प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने हाल ही में हरियाणा के पंचकूला में राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव की मौजूदगी में एक सौ दिवसीय गहन टीबी उन्मूलन अभियान का शुभारंभ किया। हरियाणा से इस 100 दिवसीय गहन टीबी अभियान की शुरुआत हुई है और उन्होंने आश्वासन दिया कि हरियाणा, देश में टीबी के खिलाफ लड़ाई में एक प्रमुख भूमिका निभाने का प्रयास करेगा। हरियाणा से “निक्षय वाहन” की भी शुरूआत की गई, ये मोबाइल वैन हैं, जो पूरे देश में रोगियों का पता लगाएंगे और उनका इलाज करेंगे।
भारत के 347 जिलों में लागू अभियान
देश भर के 347 जिलों में लागू किए जाने वाले इस अभियान का लक्ष्य टीबी के छूटे हुए मामलों, खासकर उच्च जोखिम वाले समूहों में, का पता लगाना और उनका इलाज करना तथा टीबी से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम करना है।
निजी चिकित्सकों के लिए भी यह अनिवार्य कर दिया है कि वे किसी भी नए टीबी रोगी को सूचित करें
गौरतलब हो कि सरकार ने अब निजी चिकित्सकों के लिए भी यह अनिवार्य कर दिया है कि वे किसी भी नए टीबी रोगी को सूचित करें, ताकि उनका उपचार फौरन शुरू किया जा सके। आपको बता दें सरकार टीबी को खत्म करने के लिए “4टी” पर काम कर रही है, जो परीक्षण, ट्रैक, इलाज और प्रोद्योगिकी हैं। पिछले 10 वर्षों में गहन परीक्षण से नए टीबी मामलों का पता लगाया गया है, जिनका मुफ्त इलाज किया जा रहा है।
निक्षय पोषण योजना
वहीं, टीबी उन्मूलन में निक्षय पोषण योजना, भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। इसका उद्देश्य तपेदिक (टीबी) रोगियों को पोषण सहायता प्रदान करना है। निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत सभी टीबी रोगियों के लिए मासिक सहायता राशि मौजूदा ₹500 प्रति माह से बढ़ाकर ₹1000 प्रति माह कर दी गई। सरकार ने सभी टीबी रोगियों के लिए पोषण सहायता के रूप में निक्षय पोषण योजना के लिए ₹ 1040 करोड़ के अतिरिक्त आवंटन को मंजूरी दी है।
टीबी रोगियों के सभी घरेलू संपर्कों को प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत कवर किया जाएगा और वे समुदाय से सामाजिक समर्थन प्राप्त करने के पात्र होंगे। उल्लेखनीय है, निक्षय पोषण योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से अब तक 1.13 करोड़ लाभार्थियों को ₹ 3,202 करोड़ वितरित किए गए हैं। सभी टीबी रोगियों को अब निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) के तहत 3,000 से 6,000 रुपये तक का पोषण समर्थन मिलेगा।
टीबी रोगियों के घरेलू संपर्कों को पोषण सहायता के दायरे का विस्तार करने की मांग को मंजूरी
इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीबी रोगियों के घरेलू संपर्कों को पोषण सहायता के दायरे का विस्तार करने की मांग को मंजूरी दे दी है। टीबी रोगियों के अलावा, टीबी रोगियों के परिवार के सदस्यों की प्रतिरक्षा में सुधार करने के उद्देश्य से भोजन की टोकरियाँ वितरित करने के लिए टीबी रोगियों के घरेलू संपर्कों को अपनाएंगे। इससे टीबी रोगियों और उनके परिवारों द्वारा किए जाने वाले आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च (ओओपीई) में उल्लेखनीय कमी आएगी। इन उपायों से भारत में पोषण सुधार में सहायता मिलेगी, उपचार और परिणामों के प्रति प्रतिक्रिया में सुधार होगा तथा टीबी के कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी।