पीएम मोदी 12 सितंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में शाम 4 बजे नागरिक उड्डयन पर आधारित दूसरे एशिया प्रशांत नागरिक उड्डयन मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेंगे। पीएम एशिया प्रशांत क्षेत्र में विमानन सुरक्षा, स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले दिल्ली घोषणा पत्र को अपनाने की घोषणा करेंगे।
पीएम मोदी इस अवसर पर वह कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे। एशिया प्रशांत नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और सुरक्षा को आगे बढ़ाने की दिशा में यह सम्मेलन और दिल्ली घोषणापत्र को अपनाना एक अहम कदम है और इससे इस क्षेत्र के देशों के बीच मौजूद सहयोग की भावना उजागर होती है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र से जुटेंगे परिवहन और विमानन मंत्री
नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नागरिक उड्डयन पर एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के सहयोग से कर रहा है। इस कार्यक्रम के जरिए पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र से परिवहन और विमानन मंत्री, नियामक निकाय और उद्योग विशेषज्ञ एक ही मंच पर एक साथ होंगे। सम्मेलन में बुनियादी ढांचे के विकास, स्थिरता और कार्यबल विकास जैसी प्रमुख चुनौतियों का समाधान निकालने पर जोर दिया जाएगा। साथ ही इस दौरान सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच अधिक सहयोग को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
कार्यक्रम को लेकर केंद्रय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने कहा कि “हमें उन पहलों में सबसे आगे होने पर गर्व है जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हवाई यात्रा को बदलने में मदद कर रहे हैं। हमारा दृष्टिकोण न केवल भारतीय नागरिक उड्डयन के विकास को बढ़ावा देना है, बल्कि क्षेत्र के विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना भी है,”।
वैश्विक हवाई यातायात का 40% से अधिक हिस्सा होने की उम्मीद
उड्डयन मंत्री ने कहा कि यह मंत्रिस्तरीय सम्मेलन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विमानन उद्योग के लिए तत्काल चुनौतियों और दीर्घकालिक विकास संभावनाओं को संबोधित करेगा, जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से कुछ का घर है। मंत्री ने बताया कि 2035 तक, इस क्षेत्र में वैश्विक हवाई यातायात का 40% से अधिक हिस्सा होने की उम्मीद है, जिसमें लगभग 3.5 बिलियन यात्री सालाना यात्रा करेंगे।
ड्रोन शो, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे
सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि“यह इस क्षमता को उजागर करने, मजबूत साझेदारी बनाने और बुनियादी ढांचे के विकास, बाजार अंतराल, स्थिरता और कार्यबल की कमी जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। एयरस्पेस ऑप्टिमाइजेशन, साइबर सुरक्षा, नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन जैसे महत्वपूर्ण विषयों की विस्तृत श्रृंखला पर संगोष्ठियों और सेमिनारों के साथ-साथ, भारत की नवाचार शक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रदर्शित करने के लिए ड्रोन शो भी होंगे और साथ ही वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी प्रदर्शित किया जाएगा।”