इंडोनेशिया के उत्तरी सुलावेसी प्रांत में स्थित रुआंग ज्वालामुखी के लगातार विस्फोट से आसमान में राख और आग की लपटें उठ रही हैं। अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि इंडोनेशिया ने एक प्रांतीय हवाई अड्डे को बंद कर दिया और रूआंग ज्वालामुखी के आसपास के क्षेत्र से सैकड़ों लोगों को हटा दिया, क्योंकि इससे कई दिनों तक लावा, चट्टानें और राख के विस्फोटक ढेर निकलते रहे, अधिकारियों ने स्थिति पर उच्चतम अलर्ट की घोषणा की।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार बुधवार (17 अप्रैल) को उत्तरी सुलावेसी प्रांत के एक दूरदराज के द्वीप पर ज्वालामुखी के नाटकीय विस्फोट ने लावा, गरमागरम चट्टान और राख का एक उग्र-लाल स्तंभ आकाश में तीन किमी (दो मील) तक फेंक दिया। सोशल मीडिया पर वीडियो में दिखाया गया है कि विस्फोटित ज्वालामुखी के ऊपर आकाश में बिजली की बैंगनी चमक दिखाई दे रही है। “हम भाग रहे हैं, दोस्तों,” एक गवाह ने कहा, जिसने खाली करने के लिए संघर्ष करते समय विस्फोट का वीडियो बनाया था। “हम भाग रहे हैं क्योंकि राख करीब आ रही है।”
ज्वालामुखी विज्ञान एजेंसी द्वारा चेतावनी की स्थिति बढ़ाने के बाद अधिकारियों ने निकासी क्षेत्र को और चौड़ा करते हुए क्षेत्र से 800 से अधिक लोगों को निकाला। विमानन अधिकारियों द्वारा सुरक्षा खतरे की चेतावनी के बाद बजट एयरलाइन एयर एशिया ने पूर्वी मलेशिया और ब्रुनेई के 9 हवाई अड्डों से उड़ानें रद्द कर दीं। अधिकारियों ने ज्वालामुखी के चारों ओर छह किलोमीटर (4 मील) के क्षेत्र को घेर लिया है और अधिक निवासियों को निकाल रहे हैं, जिनमें से कुछ पड़ोसी द्वीप टैगुलानडांग से हैं।
वहीं दुसरी ओर मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ज्वालामुखी के फटने से सुनामी का खतरा मंडरा रहा है, अधिकारियों ने चिंता जताई है कि ज्वालामुखी का कुछ हिस्सा समुद्र में गिर सकता है, जिससे 1871 की तरह एक बड़ी सुनामी आ सकती है। इस वजह से अलर्ट लेवल को सबसे ऊँचे स्तर पर रखा गया है। अधिकारियों ने पहाड़ के कुछ हिस्सों के नीचे समुद्र में गिरने पर सुनामी के खतरे को भी चिह्नित किया है। बता दें कि 1871 में ज्वालामुखी के पिछले विस्फोट से उत्पन्न सुनामी में लगभग 400 लोग मारे गए थे।
उल्लेखनीय है, इस बार अधिकारी कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और उन्होंने अलर्ट लेवल को बढ़ा दिया है। इसके अलावा तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। समुद्र तटों पर जाने और समुद्र में किसी भी तरह की गतिविधि करने पर रोक लगा दी गई है। सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियां स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।