प्रतिक्रिया | Saturday, September 07, 2024

आज भाग-दौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग सिर्फ तनाव में अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं। उनके लिए हंसना तो दूर, परिवार के साथ बैठने तक का समय नहीं है। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक वो सिर्फ तनाव में जी रहे हैं, कुछ लोगों की जिंदगीं में तनाव की वजह सिर्फ दूसरों की लाइफ स्टाइल है। लोग पैसे कमाने की होड़ में लगे हुए हैं। लोग पैसे और दिखावे की जिन्दगी में इतने आगे निकल चुके हैं कि उन्हें यह भी नहीं पता कि वह हर पल डिप्रेशन, एंजायटी और न जाने कितनी खतरनाक बीमारियों के करीब जा रहे हैं।  

इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि तनाव को कम करने में मुस्कुराना एनर्जी बूस्टर की तरह काम करता है।  तभी तो अब्दुल हमीद अदम ने अपनी कविता के माध्यम से ऐसे लोगों को कहा था “मुस्कुराहट है हुस्न का जेवर, रूप बढ़ता है मुस्कुराया करो”। एक शोध से पता चलती है कि मुस्कुराने से शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज होता है, जो तनाव को कम करने के साथ-साथ आपके तनावपूर्ण मूड को भी अच्छा करता है। शायरों के कलाम से लेकर फिल्मी गीतों में मुस्कुराने को हमेशा अहमियत दी गई। मशहूर शायर सदा अम्बालवी लिखते हैं “बुझ गई शम्अ की लौ तेरे दुपट्टे से तो क्या ,अपनी मुस्कान से महफिल को मुनव्वर कर दे”। ऐसा माना जाता है कि एक हंसता-मुस्कुराता चेहरा दिनभर की थकान मिटा सकता है। जब एक निराशावादी व्यक्ति किसी हंसते मुस्कुराते चेहरे से मिलता है तो वे खुद उर्जावान हो जाता है। इसी मुस्कुराहट को दोबारा चेहरे पर सजाने और जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए 20 मार्च को हर वर्ष ‘इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस यानी विश्व प्रसन्नता दिवस मनाने की शुरुआत की गयी।  

भारत में आ रहा परिवर्तन

यह दिन बताता है कि एक देश को विकसित होने के लिए अर्थव्यवस्था के साथ साथ वहां के लोगो का खुशहाल होना भी बेहद जरूरी है। आज 136 खुशहाल देशों में भारत 125वें स्थान पर है। वहीं फिनलैंड शीर्ष पर है, डेनमार्क दूसरे स्थान पर और आइसलैंड तीसरे स्थान पर है। जानते हैं क्यों?… फिनलैंड में अपराध की दर कम है। यहां पर प्राकृतिक सुंदरता अध‍िक है। बहुत कम ही लोग ऐसे हैं जो गरीबी से जूझ रहे हैं। इसके अलावा यहां की चिकित्सा प्रणाली बेहतर काम करती है। फ‍िनलैंड में बेहतर सरकारी सुविधाएं भी मौजूद हैं और यही फ‍िनलैंड की खुशहाली का सबसे बड़ा राज है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी देशों के मुकाबले फ‍िनलैंड रहने और समय बिताने के लिए सबसे बेहतर देश है। यहां के लोगों को शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद है, इसलिए यहां रहना सकारात्‍मक ऊर्जा का अहसास कराता है।

पिछले कुछ समय से हमारे देश में भी काफी परिवर्तन आये हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतरी आयी है । समाज के वंचित वर्गों के लिए सरकारी योजनाएं शुरू की गई। उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत, किसान सम्मान और विश्वकर्मा योजना  जैसी सरकारी योजनाओं से लोगों की आकांक्षाओं को पंख मिले हैं ।

तनाव को न होने दें हावी

लेकिन वहीं दूसरी तरफ भारत  में आत्महत्या और अपराध  के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है । राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में आत्महत्या के मामलों की संख्या 2,760 थी। वहीं 2022 में आत्महत्या से मरने वालों की संख्या 3,367 हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, आत्महत्या के कारणों में पारिवारिक तनाव ,परीक्षा में असफलता ,बेरोजगारी ,गरीबी ,दहेज प्रताड़ना मुख्य हैं। एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में अकेले झारखंड में ही 325 छात्रों ने आत्महत्या की है। पारिवारिक और सामाजिक दबाव के चलते विद्यार्थियों को तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों के अंदर से इस डर और तनाव को खत्म  करने के लिए हर साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ करते हैं। इस कार्यक्रम के तहत वे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ सीधे बातचीत करते हैं, जिससे पिछले कुछ दिनों में कुछ  सकरात्मक नतीजे देखने  को मिले हैं। 

(bY: Farhat Naaz, All India Radio, New Delhi)

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आखरी अपडेट: 7th Sep 2024