प्रतिक्रिया | Friday, November 22, 2024

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नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं के वित्तपोषण लिए IREDA ने गुजरात के गिफ्ट सिटी में कार्यालय की शुरुआत की

भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (IREDA) ने गुजरात के गांधीनगर स्थित गिफ्ट सिटी में अपने एक कार्यालय की शुरुआत की है, जो विदेशी मुद्राओं में ऋण विकल्प प्रदान करने में विशिष्टता प्राप्त होगा। इससे नेचुरल हेजिंग (जोखिम प्रबंधन रणनीति) की सुविधा प्राप्त होगी। साथ ही, हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण लागत में भी काफी कमी आएगी। इरेडा के सीएमडी प्रदीप कुमार दास ने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा भंडारण महत्वपूर्ण कारक है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने आज जारी एक बयान में बताया कि इरेडा का गिफ्ट सिटी कार्यालय हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं को बढ़ावा देगा। इरेडा के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) प्रदीप कुमार दास ने बुधवार (17 अप्रैल) को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित अबू धाबी में आयोजित वर्ल्ड फ्यूचर एनर्जी सम्मेलन- 2024 में “लंबी अवधि के ऊर्जा भंडारण के लिए भविष्य में विकास के अवसर” विषय पर एक पैनल चर्चा के दौरान उस रणनीतिक पहल को रेखांकित किया, जो देश के हरित भविष्य की यात्रा में अपना योगदान देगा।

दास ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) से अधिक हाइड्रोजन उत्पादन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में ऊर्जा भंडारण की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने भंडारण प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए कई प्रमुख प्राथमिकताओं को रेखांकित किया।

सीएमडी दास ने लागत कम करने और ऊर्जा भंडारण समाधानों के प्रदर्शन में सुधार के लिए अनुसंधान व विकास संबंधित प्रयासों को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क को मजबूत करने वाली नीतियों को लागू करने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया। उन्होंने आगे कहा कि प्रतिस्पर्धी और अनुकूलित वित्तीय समाधान प्रदान करने से ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

उल्लेखनीय है, भारत ने इस दिशा में विभिन्न सक्रिय कदम उठाए हैं। इनमें साल 2047 तक भंडारण आवश्यकता रोडमैप का निर्माण, टेक्नोलॉजी-एग्नॉस्टिक भंडारण निविदाएं और बैटरी विनिर्माण व पंप भंडारण जलविद्युत परियोजनाओं के लिए सहायक सरकारी हस्तक्षेप शामिल हैं। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने साल 2030-31 तक लगभग 400 गीगावाट-घंटे (जीडब्ल्यूएच) की भंडारण आवश्यकता का अनुमान लगाया है, जिसमें अनुमानित निवेश 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

 

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आखरी अपडेट: 22nd Nov 2024