भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के ट्रेनी अधिकारियों ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय राजस्व सेवा हमारी अर्थव्यवस्था को एक समान कर प्रणाली और साझा प्रशासनिक मूल्यों के माध्यम से जोड़ती है। आईआरएस अधिकारी भारत सरकार, व्यापार और विभिन्न राज्यों के टैक्स कर प्रशासन (टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन) के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में राष्ट्रीय हित का एजेंडा काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग से तय होता है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे देश की आर्थिक सीमाओं के संरक्षक हैं। हमेशा ईमानदारी और समर्पण के साथ काम करना होगा। दूसरे देशों के साथ व्यापार सुगमता समझौतों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) देश को आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे के निर्माण, सामाजिक-आर्थिक योजनाओं को चलाने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए संसाधन उपलब्ध कराती है। इस तरह यह सेवा राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अपनी भूमिका अच्छे से निभाने के लिए उन्हें ऐसे सिस्टम और प्रक्रियाएं विकसित करने की जरूरत है जो पारदर्शी हो और जवाबदेही हो।
उन्होंने आगे कहा कि इस नए और गतिशील युग में कर संग्रह (टैक्स कलेक्शन) में कम हस्तक्षेप और प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग करने की कोशिश की जानी चाहिए। टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के क्षेत्र में नए विचार और नए समाधान लाने की जिम्मेदारी युवा अधिकारियों पर है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने अधिकारियों को सलाह दी कि वे याद रखें कि कराधान केवल देश के राजस्व को बढ़ाने का साधन नहीं है। यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। देश के नागरिकों की ओर से दिया जाने वाला टैक्स देश और लोगों के विकास के लिए उपयोग किया जाता है। इसलिए, यदि वे अपना काम लगन और निष्ठा से करेंगे, तो वे देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान दे पाएंगे।