भारत के पहले सौर मिशन- आदित्य एल-1 ने धरती की कक्षा बदलने की दूसरी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क ने इस प्रक्रिया का संचालन किया। वहीं आदित्य एल-1 की कक्षा बदलने की जानकारी इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने आधिकारिक हैंडल के जरिए साझा की है।
https://twitter.com/isro/status/1698810887614992515?s=20
आदित्य एल-1 की घरती की कक्षा बदलने की चार प्रक्रिया बाकी
बताना चाहेंगे कि यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर तेजी से सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा। पृथ्वी की कक्षा के अपने सभी चरण पूरे करने के पश्चात आदित्य एल-1 लैग्रेंजियन पॉइंट यानी एल-1 पॉइंट की ओर अग्रसर होगा। फिलहाल, उपग्रह आदित्य एल-1 अब 282 गुणे 40 हजार 225 किलोमीटर की पूर्व कक्षा से 245 गुणे 22 हजार 459 किलोमीटर की कक्षा में आ गया है।
125 दिन में लैग्रेंजियन पॉइंट पर पहुंचेगा आदित्य एल1
भारत द्वारा भेजा गया उपग्रह आदित्य एल-1 करीब 125 दिन में एल-1 पॉइंट पर पहुंचेगा। वहां सूर्य और धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति समान होगी। उस तक पहुंचने से पहले आदित्य एल-1 घरती की कक्षा बदलने की अभी चार प्रक्रियाओं को ओर पूरा करेगा।
कक्षा बदलने का तीसरा प्रयास 10 सितंबर को
इसी क्रम में कक्षा बदलने का अगला यानी तीसरा प्रयास 10 सितंबर को तड़के 2 बजकर 30 मिनट पर निर्धारित है। आदित्य एल-1 मिशन पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित एल-1 प्वाइंट पर सौर परिवेश के बारे में जानकारी जुटाएगा। ऐसे में यह मिशन भारत के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।
2 सितंबर को किया गया था आदित्य एल-1 का प्रक्षेपण
ज्ञात हो, 2 सितंबर 2023 को अंतरिक्ष यान पीएसएलवी-सी 57 से आदित्य एल-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया था। मून मिशन की सफलता के बाद अब दुनिया की नजर भारत के पहले सौर मिशन- आदित्य एल-1 पर टिकी हैं। इस प्रकार भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए इतिहास रच दिया है।