भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 8 जून को Axiom-4 (Ax-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना होंगे। यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि यह पहली बार होगा जब कोई ISRO गगनयात्री ISS में जाएगा और अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) स्थितियों में 7 महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे, जिन्हें देशभर के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों और शैक्षणिक संस्थाओं के वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तावित किया गया है।
इन प्रयोगों में खाद्य फसलों के बीजों की वृद्धि, अंतरिक्ष में सलाद के बीजों का अंकुरण और पोषण से जुड़ी संभावनाएं, खाने योग्य माइक्रोएल्गी पर सूक्ष्म गुरुत्व और विकिरण का प्रभाव, माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों की पुनरुत्पत्ति पर पोषण सप्लीमेंट का असर, इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के साथ मानवीय व्यवहार का विश्लेषण, और स्पेस में टार्डीग्रेड की जीवित रहने, पुनरुत्थान और पुनरुत्पादन की क्षमता का अध्ययन शामिल है। ये सभी प्रयोग वर्तमान में जमीन पर सुरक्षा और गुणवत्ता जांच की प्रक्रियाओं से गुजर रहे हैं ताकि मिशन के दौरान किसी भी प्रकार की तकनीकी बाधा न आए।
इस मिशन का संचालन Axiom Space की पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री और मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक पैगी व्हिटसन करेंगी, जो इस मिशन की कमांडर होंगी। शुभांशु शुक्ला के साथ पोलैंड के स्लावोश उज्नांस्की-विश्नेव्स्की (ESA परियोजना अंतरिक्ष यात्री) और हंगरी के तिबोर कापू (मिशन विशेषज्ञ) भी शामिल होंगे। यदि किसी कारण से शुभांशु शुक्ला उड़ान नहीं भर पाते, तो IAF ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को बैकअप पायलट के रूप में तैयार किया गया है।
ISRO ने बताया कि इस मिशन से भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान, विशेष रूप से माइक्रोग्रैविटी रिसर्च के क्षेत्र में नई दिशा मिलेगी और भविष्य के मिशनों के लिए भारत में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को और सशक्त किया जा सकेगा। यह मिशन भारत के लिए इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि इसके जरिए शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में पहुंचने वाले पहले ISRO गगनयात्री और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। राकेश शर्मा 1984 में सोवियत यूनियन के सोयुज यान से अंतरिक्ष गए थे। -(IANS)