केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आज सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय समिति के 77वें सत्र का उद्घाटन किया। यह सत्र 7 से 9 अक्टूबर तक नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें बांग्लादेश, भूटान, कोरिया लोकतांत्रिक गणराज्य, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, तिमोर-लेस्ते और भारत के स्वास्थ्य मंत्री और प्रतिनिधि शामिल हो रहें हैं। यह वार्षिक बैठक WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक गवर्निंग बाॅडी के रूप में काम करती है, जो दुनिया की एक चौथाई से अधिक आबादी लगभग दो अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े प्रमुख मुद्दों का समाधान करना और पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए नीतियों का पता लगाना है। WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया कार्यालय ने अपने सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया ताकि गैर-संचारी रोगों (NCDs), मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध और तपेदिक जैसी बीमारियों का सामना किया जा सके।
अपने उद्घाटन भाषण में, जेपी नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य सीमाओं से परे है और इसे मजबूत बनाने के लिए देशों को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे के अनुभवों से सीखकर, हम अपने स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता को बेहतर बना सकते हैं और वैश्विक स्वास्थ्य संकटों का सामना कर सकते हैं।
WHO की क्षेत्रीय निदेशक सायमा वाजिद ने भी नड्डा की बातों का समर्थन किया। उन्होंने कमजोर वर्गों, बुजुर्गों, दिव्यांगों, अनाथ बच्चों और अन्य हाशिए पर रह रहे लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पर जोर दिया। सायमा वाजिद ने बताया कि 1948 में जब WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय समिति का गठन हुआ था, तब वैश्विक शिशु मृत्यु दर 147 थी, जो अब घटकर 25 रह गई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि आज हमें एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध जैसी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही पुरानी और नई दोनों तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए आधुनिक उपकरणों और सामूहिक ज्ञान के उपयोग पर जोर दिया।
जेपी नड्डा ने भारत की UHC के प्रति प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) की चर्चा की। उन्होंने कहा यह दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है, जो 12 करोड़ से अधिक परिवारों को सालाना 6,000 अमेरिकी डॉलर तक का अस्पताल लाभ प्रदान करती है। हाल ही में इस योजना का विस्तार करते हुए 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों को शामिल किया गया है, जिससे लगभग 4.5 करोड़ परिवारों और 6 करोड़ बुजुर्गों को लाभ मिलेगा।
गैर-संचारी रोगों (NCDs) की बढ़ती समस्या को ध्यान में रखते हुए, नड्डा ने बताया कि भारत ने 2010 से राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम लागू किया है। इसके तहत 753 एनसीडी क्लीनिक, 356 दिन केयर सेंटर और 6,238 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो प्रारंभिक रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के लिए भारत ने तैयार किया UWIN पोर्टल : जेपी नड्डा
भारत डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी है और अपने डिजिटल सार्वजनिक ढांचे (DPI) जैसे आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, ई-संजीवनी, एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (IHIP) और साक्षम को अन्य देशों के साथ साझा करने की योजना बना रहा है। नड्डा ने कोविड-19 महामारी के दौरान सफल रहे CoWIN प्लेटफॉर्म का जिक्र करते हुए बताया कि अब भारत ने यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के लिए UWIN पोर्टल तैयार किया है, जो सभी टीकाकरण कार्यक्रमों को पंजीकृत, ट्रैक और मॉनिटर करेगा।
पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणालियों के महत्व को समझते हुए, नड्डा ने ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना के लिए भारत के समर्थन का जिक्र किया। तीन दिन तक चलने वाली इस WHO बैठक में इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा को और बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जा सके।