प्रतिक्रिया | Tuesday, April 01, 2025

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वक्फ विधेयक पर जेपीसी आज संसद में पेश करेगी रिपोर्ट, अध्यक्ष ने कहा- ‘पूरे देश का दौरा करने के बाद रिपोर्ट की तैयार’ 

भाजपा सांसद और वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने गुरुवार को कहा कि छह महीने तक देशव्यापी विचार-विमर्श के बाद जेपीसी आज संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। जेपीसी अध्यक्ष ने जोर देते हुए कहा कि समिति ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले इनपुट एकत्र करने के लिए पूरे देश का दौरा किया, जिसमें 14 खंडों में 25 संशोधनों को अपनाना शामिल है।

विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श के लिए छह महीने पहले जेपीसी का किया गया था गठन 

उन्होंने कहा “आज जेपीसी संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श के लिए छह महीने पहले जेपीसी का गठन किया गया था। पिछले छह महीनों में हमने पूरे देश का दौरा करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है। हमने 14 खंडों में 25 संशोधनों को अपनाया है।” 

जगदम्बिका पाल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कार्यसूची पर बिजनेस एडवाइजरी की राय से यह रखा है। वक्फ के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाई जाए, जिसमें दोनों सदनों के सदस्य हों और एक विस्तृत चर्चा हो सके, जिससे पूरे देश के हितधारकों से बातचीत की जा सके। उसी आधार पर हम एक पारदर्शी रिपोर्ट चाहते थे। वह हमने किया। पहले सर्दियों में हमें यह रिपोर्ट देनी थी, लेकिन तब तक हमने दक्षिणी राज्यों का दौरा किया। फिर हमने स्पीकर साहब से आग्रह किया था और उन्होंने बजट सत्र तक समय बढ़ा दिया।

पिछले छह महीनों की लगातार बैठकों के बाद तैयार हुई रिपोर्ट

उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के पटल पर रखी गई यह रिपोर्ट पिछले छह महीनों की लगातार बैठकों के बाद तैयार हुई है और हम इसे आज प्रस्तुत कर रहे हैं। हमारे कुछ सदस्य कह रहे हैं कि हमारी असहमति है, हमारी बातें नहीं सुनी गईं। लेकिन उनकी बातें हम छह महीने तक लगातार सुनते रहे। उनके द्वारा सुझाए गए संशोधनों पर हमने वोटिंग की, जो संसद की प्रक्रिया है।

जगदम्बिका पाल ने जेपीसी के कुछ सदस्यों की चिंताओं के बारे में कही यह बात 

वक्फ जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने जेपीसी के कुछ सदस्यों की चिंताओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि किसी भी कानून पर सहमति-असहमति हो सकती है, किसी रिपोर्ट पर भी हो सकती है। इसका तरीका यही है कि उस पर वोट किया जाता है। हमने सभी पर वोट कराया, जो भी बहुमत में था, उसे अपनाया और जो अल्पमत में था, उसे नकारा। इसके बाद भी, रिपोर्ट के अनुमोदन के बाद मैंने उनसे असहमति का नोट मांगा, और जो असहमति का नोट उन्होंने दिया, उसे हमने रिपोर्ट में शामिल किया है। साथ ही, जिन-जिन हितधारकों से हम मिले हैं, उनके द्वारा कही गई बातें भी हम जेपीसी के साथ जोड़कर रख रहे हैं।

इससे पहले यह रिपोर्ट 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी गई

लोकसभा की कार्यसूची के अनुसार, वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल, भाजपा सांसद संजय जायसवाल के साथ आज गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट पेश करेंगे। वे संयुक्त समिति के समक्ष दिए गए साक्ष्यों का रिकॉर्ड भी पटल पर रखेंगे। रिपोर्ट 30 जनवरी, 2025 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी गई थी।

राज्यसभा में, रिपोर्ट मेधा विश्राम कुलकर्णी और गुलाम अली द्वारा प्रस्तुत की जाएगी। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जेपीसी ने 29 जनवरी को मसौदा रिपोर्ट और संशोधित संशोधित विधेयक को अपनाया। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने रिपोर्ट पर अपने असहमति नोट प्रस्तुत किए। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और मोहम्मद नदीमुल हक, जो पैनल के सदस्य थे, ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को प्रस्तुत “उनके असहमति नोटों के प्रमुख हिस्सों को हटाने” का विरोध किया था।

कल्याण बनर्जी और मोहम्मद नदीमुल हक ने आरोप लगाया कि समिति के निष्कर्ष पक्षपातपूर्ण और पूर्वनिर्धारित थे और दावा किया कि समिति ने हितधारकों के प्रतिनिधित्व, गवाहों के बयान और विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए प्रस्तुतीकरण को नजरअंदाज कर दिया। 

ज्ञात हो, वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए अधिनियमित वक्फ अधिनियम 1995 की लंबे समय से कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना की जाती रही है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी तंत्र जैसे सुधारों को पेश करके इन चुनौतियों का समाधान करना है। (इनपुट-एएनआई)

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आखरी अपडेट: 1st Apr 2025