देश में लोकसभा चुनाव के साथ ही 4 राज्यों में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो गया है। देश में आम चुनाव 7 चरणों में होंगे, चुनाव की प्रक्रिया 19 अप्रैल से शुरू होकर 1 जून तक चलेगी। जबकि मतगणना 4 जून को होगी। ऐसे में चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही देश में आचार संहिता लागू हो गई है, जो कि चुनाव के परिणाम आने के बाद खत्म होगी। वहीं अब पूरे चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, साथ ही उसके पास कई शक्तियां आ जाती है। जिसके जरिए वह राजनीतिक पार्टियों से लेकर प्रशासन तक पर नजर बनाए रहता है। आचार संहिता, किन कामों पर होती है पाबंदी और आचार संहिता तोड़ने पर क्या होती है कार्रवाई आइए जानते हैं।
क्या है आचार संहिता
किसी भी चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम-शर्तें तय की हैं। इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते है। चुनाव की तारीखें घोषित होने के साथ आचार संहिता लागू हो जाती है, जो चुनाव परिणाम घोषित होने तक लागू रहती है। चुनाव में हिस्सा लेने वाले राजनैतिक दल, सरकार और प्रशासन समेत सभी आधिकारिक महकमों से जुड़े सभी लोगों को इन नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी होती है।
निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी
चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है, हालांकि उससे पहले भी कई ऐसे नियम और आयोग की जिम्मेदारी होती है, जिस पर चुनाव आयोग की नजर रहती है। जैसे किसी भी राज्य में चुनाव की तारीख ऐलान से पहले यदि कोई अधिकारी किसी एक ही जिले में बीते चार वर्ष से तैनात हैं या उसकी पोस्टिंग को तीन वर्ष पूरे हो गए हैं तो उस जिले से उसका ट्रांसफर करना होता है। हालांकि यह नियम DEO, RO, ARO, पुलिस इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर और इससे बड़ी पोस्ट के अधिकारियों पर लागू होते हैं। साथ ही चुनाव आचार संहिता से सीधे जुड़े होने वाले अधिकारियों की नियुक्ति उनके गृह जिलों में नहीं होगी। इसी के मद्देनजर चुनाव आयोग राज्यों के प्रशासन के साथ चुनाव की तैयारी के लिए दौरा करते हैं।
आचार संहिता में इन कामों पर होती है पाबंदी
आचार संहिता लगने के बाद किन कामों पर रोक होगी इसे लेकर निर्वाचन आयोग ने गाइडलाइन बनाई है। उनमे से कुछ जैसे–
–आचार संहिता लागू होने के बाद केंद्र या राज्य सरकार किसी नई योजना और नई घोषणाएं नहीं हो सकतीं।
–चुनावी तैयारियों के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जैसे सरकारी गाड़ी, बंगला, एयरक्राफ्ट आदि।
–आचार संहिता लागू होते ही दीवारों पर लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री हटा दी जाती हैं। होर्डिंग, बैनर व पोस्टर भी हटा दिए जाते हैं।
–राजनीतिक दलो को रैली, जुलूस या फिर मीटिंग के लिए परमिशन लेनी होती है।
–धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया जाएगा।
–मतदाताओं को किसी भी तरह से रिश्वत नहीं दी जा सकती। रिश्वत के बल पर वोट हासिल नहीं किए जा सकते।
–किसी भी प्रत्याशी या पार्टी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते।
–मतदान केंद्रों पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते।
–मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए।
नियमों को तोड़ने पर कार्रवाई
आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। वह आयोग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश के अनुसार ही कार्य करते हैं। साथ ही चुनाव आयोग द्वारा जारी किये गये वह निर्देश का पालन हो इसका भी ध्यान रखते हैं। अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है, अथवा उल्लंघन करते पाया जाता है, तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है या उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।