देश के कई हिस्सों में लोकसभा चुनाव के लिए डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान किया जा रहा है। 16 अप्रैल को मतदान का आखिरी दिन है। दरअसल, 85 साल के ऊपर के बुजुर्ग से लेकर लोकसभा निर्वाचन में निर्वाचन दायित्व से जुड़े मतदान दलों, सेक्टर आफिसर, एफएसटी, एसएसटी, वीएसटी और विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी तथा अन्य जिले में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए डाक मतपत्र के जरिए मतदान की सुविधा प्रदाय की गई है।
वीडियोग्राफी भी करवा रहे
लोकसभा चुनाव के लिए 85 वर्ष आयु से ऊपर एवं दिव्यांग मतदाताओं के लिए 15 अप्रैल से मतदान की प्रक्रिया पूरी करवाने का काम किया जा रहा है। घर बैठे मतदान को लेकर वीडियोग्राफी भी करवाई जा रही है।
बता दें कि निर्वाचन आयोग द्वारा डाक मतपत्र के माध्यम से 85 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाता और दिव्यांगजनों को घर पहुंचकर मतदान का कार्य संपादित कराया जाना है। डाक मतपत्र संपादित के दौरान राजनीतिक दलों के अधिकृत प्रतिनिधि, बीएलओ, ग्राम सचिव उपस्थित रहेंगे। डाक मत पत्र से मतदान करने में वंचित मतदाताओं को 18 अप्रैल को दूसरा और अवसर दिया जाएगा।
कब से हुई शुरूआत
21 अक्टूबर, 2016 को भारत सरकार द्वारा चुनाव नियामावली, 1961 के नियम 23 में संशोधन कर इस सेवा को मतदाताओं हेतु अधिसूचना जारी कर शुरू किया गया था। इसके बाद ई-डाक के माध्यम से मतदान करने की सुविधा शुरू हुई।
क्या होता है डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान
डाक मतपत्र से मतदान के लिए पात्र वोटर्स को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जिसमें अपना पता समेत अन्य जरूरी विवरण देना होता है। इसके आधार पर चुनाव आयोग की ओर से पात्र वोटर्स को कागज पर प्रिंट एक खास मतपत्र भेजा जाता है, जिसे पोस्टल बैलेट कहते हैं।
इस मतपत्र पर नागरिक अपनी पसंदीदा पार्टी के चुनाव चिन्ह पर स्टैम्प लगाकर अपना वोट डालता है। इसके बाद चुनाव कर्मियों द्वारा मतपत्र को एक सीलबंद बॉक्स में डाल दिया जाता है, जिसे बैलेट बॉक्स कहते हैं। खासबात ये है कि यह बैलेट बॉक्स स्थानीय जिले के स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है और मतगणना वाले दिन खुलता है। मतगणना के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट से पड़े वोटों की ही गिनती शुरू होती है। इसके बाद ईवीएम में दर्ज मतों की गिनती शुरू होती है।