ठंड भरी सर्दियों के बावजूद असम माघ बिहू या भोगाली बिहू को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाने की तैयारी कर रहा है। बाजारों में भीड़ उमड़ रही है जहां लोग मछली और तरह-तरह के पकवान खरीद रहे हैं। इन पकवानों में पिठा (चावल के केक), लड्डू (नारियल, गुड़, तिल, चावल का आटा और मुरमुरे से बने), ताजा मलाई, गाढ़ी दही और शहद शामिल हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि आज असम के लोगों के लिए खास दिन है। असम में बिहू धूमधाम से मनाया जाता है।
वहीं गुवाहाटी के बाजारों में लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। सभी ने राज्य के सबसे बड़े त्योहार की तैयारियां पूरी कर ली हैं। माघ बिहू या भोगाली बिहू असम का एक फसल उत्सव है, जो जनवरी के मध्य में कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक है। इस त्योहार में लोग कटाई के बाद सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं। माघ बिहू से एक दिन पहले की रात को ‘उरुका’ कहा जाता है, और असम के लोग आज सोमवार को उरुका मनाने की तैयारी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि आज सोमवार से त्योहार की शुरुआत हो चुकी है, और माघ बिहू कल मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन अग्निदेव को धन्यवाद देने के लिए मेजी (समारोहिक अलाव) जलाया जाता है। माघ बिहू का संबंध तिब्बती-बर्मी सांस्कृतिक परंपराओं से है। यह त्योहार सामुदायिक मेल-जोल, भोज और परंपराओं का समय है।
माजुली, जो दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है और इसके पास स्थित जोरहाट जिले में तैयारियां जोरों पर हैं। महिलाएं तिल पिठा, घिला पिठा और कई तरह के जलपान (चावल से बने पारंपरिक नाश्ते) बनाने में व्यस्त हैं। वहीं, युवा और बड़े बांस और सूखे घास से बने भेला घर बना रहे हैं। इन भेला घरों में लोग रातभर भोज का आनंद लेते हैं और खुशियां मनाते हैं।