प्रतिक्रिया | Wednesday, January 22, 2025

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महाकुंभ सीमाओं से परे एक उत्सव : पारंपरिक भारतीय परिधान पहने तुर्की नागरिक पिनार ने लगाई गंगा में पवित्र डुबकी

महाकुंभ 2025 ने न केवल भारत की सबसे बड़ी आध्यात्मिक समागम के रूप में अपनी जगह बनाई है, बल्कि एक वैश्विक सांस्कृतिक कार्यक्रम बन गया है जो लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। महाकुंभ मानवता की अमूर्त विरासत के रूप में सुशोभित करते हुए सनातन संस्कृति के सार का प्रतिनिधित्व करता है और इसने दुनिया भर में उत्सुकता जगाई है। विभिन्न महाद्वीपों से लोग सक्रिय रूप से इस भव्य आयोजन के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, इसके महत्व को समझने और इसकी आध्यात्मिक जीवंतता में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 को ‘डिजिटल महाकुंभ’ के रूप में प्रस्तुत करते हुए डिजिटल परिवर्तन को अपनाया है। इस पहल का केंद्रबिंदु आधिकारिक वेबसाइट https://kumbh.gov.in/ है, जो महाकुंभ के सभी पहलुओं पर व्यापक जानकारी प्रदान करती है।

सीमाओं से परे एक उत्सव महाकुंभ

जैसे-जैसे महाकुंभ 2025 शुरू हो रहा है, इस त्योहार की भव्यता का अनुभव करने वाले लोगों में विस्मय और श्रद्धा की भावना जागृत हो रही है। ऐसे ही एक विदेशी महिला की महाकुंभ की यात्रा की कहानी को भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने साझा किया है। जिसमें उन्होंने तुर्की नागरिक पिनार के बारे में बताया जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानने को काफी उत्सुक थीं।

तुर्की नागरिक पिनार की महाकुंभ की यात्रा

पिनार ने लंबे समय से भारत की आस्था, परंपरा और मानवता के रहस्यमय संगम की कहानियां सुनी थीं, जो महाकुंभ को परिभाषित करती हैं। जनवरी 2025 में उनका यह सपना हकीकत में बदल गया जब वह गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पवित्र संगम स्थल संगम की रेत पर खड़ी थीं।

पिनार के लिए यह केवल महाद्वीपों की यात्रा नहीं थी बल्कि एक गहन आध्यात्मिक जागृति थी

पारंपरिक भारतीय परिधान पहने पिनार ने गंगा में पवित्र डुबकी लगाई, जो सनातन धर्म में गहरा महत्व रखता है। माथे पर तिलक और पवित्र जल का स्पर्श करके वह उस क्षण की दिव्यता में पूरी तरह से डूब गईं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यहां का वातावरण दिव्य और राजसी है। पिनार के लिए यह केवल महाद्वीपों की यात्रा नहीं थी बल्कि एक गहन आध्यात्मिक जागृति थी।

भारत की सदियों पुरानी परंपराओं से गहरा जुड़ाव महसूस हुआ

महाकुंभ की ऊर्जा और पवित्रता के प्रति उनकी प्रशंसा स्पष्ट थी। ध्यान और तिलक लगाने जैसे अनुष्ठानों में भाग लेने से उन्हें भारत की सदियों पुरानी परंपराओं से गहरा जुड़ाव महसूस हुआ। सनातन धर्म के प्रति अपनी नई समझ और सम्मान को दर्शाते हुए उन्होंने कहा कि मैं संगम की रेत पर चलने और गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के अनुभव को कभी नहीं भूलूंगी।

महाकुंभ 2025 को ‘डिजिटल महाकुंभ

वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महाकुंभ 2025 को ‘डिजिटल महाकुंभ’ के रूप में प्रस्तुत करते हुए डिजिटल परिवर्तन को अपनाया है। इस पहल का केंद्रबिंदु आधिकारिक वेबसाइट https://kumbh.gov.in/ है, जो महाकुंभ के सभी पहलुओं पर व्यापक जानकारी प्रदान करती है। परंपराओं और आध्यात्मिक महत्व से लेकर यात्रा दिशानिर्देश और आवास विकल्पों तक पोर्टल एक ही स्थान पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सभी महत्वपूर्ण मुद्दों का विवरण देता है। 

प्रमुख आकर्षणों, प्रमुख स्नान उत्सवों, क्या करें और क्या न करें और मीडिया दीर्घाओं पर बहुत विस्तृत जानकारी के साथ, उपयोगकर्ताओं को एक आदर्श अनुभव मिल रहा है।

पहले सप्ताह में, 183 देशों के 33 लाख से अधिक आगंतुकों ने वेबसाइट का उपयोग किया

गौरतलब हो, अकेले जनवरी के पहले सप्ताह में, 183 देशों के 33 लाख से अधिक आगंतुकों ने वेबसाइट का उपयोग किया है, जिसमें दुनिया भर के 6,206 शहरों के उपयोगकर्ता शामिल हैं। इसमें भारत सबसे आगे है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी हैं। इस मंच का दायरा भौगोलिक और सांस्कृतिक सीमाओं के पार कार्यक्रम की सार्वभौमिक अपील को रेखांकित करता है।

 

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आखरी अपडेट: 22nd Jan 2025