प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लोहिया को एक दूरदर्शी नेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक के रूप में याद किया। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा,”डॉ. राम मनोहर लोहिया जी को उनकी जयंती पर नमन। वे एक दूरदर्शी दूनेता, प्रखर स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक न्याय के प्रतीक थे। उन्होंने वंचितों को सशक्त बनाने और एक मजबूत भारत के निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।”
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी डॉ. लोहिया को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भारत की राजनीतिक और सामाजिक धारा का महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बताया। नड्डा ने कहा, “महान स्वतंत्रता सेनानी और सप्त क्रांति के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन। उन्होंने भारतीय राजनीति में पवित्रता और पारदर्शिता की ऊंची मान्यताएं स्थापित कीं। उनके राष्ट्रवादी विचार और सामाजिक सशक्तिकरण के कार्य हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।”
गृह मंत्री अमित शाह ने भी डॉ. लोहिया को याद करते हुए कहा कि उन्होंने जीवनभर अपने सिद्धांतों और देशभक्ति के मूल्यों को अपनाया। शाह ने कहा, “डॉ. राम मनोहर लोहिया जी का जीवन महिलाओं की शिक्षा, सामाजिक समानता और राजनीतिक शुचिता के लिए समर्पित रहा। उनकी विचारधारा सभी के लिए प्रेरणादायी है। उनकी जयंती पर मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
डॉ. राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के अकबरपुर में हुआ था। 12 अक्टूबर 1967 को उनका निधन हो गया। लोहिया ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई और बाद में देश की समाजवादी राजनीति के प्रमुख नेता बने। वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और बाद में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े रहे। स्वतंत्रता के बाद भी वे भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे और सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण की वकालत करते रहे।
1962 में, लोहिया ने फूलपुर सीट से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। हालांकि, 1963 में उन्होंने फर्रुखाबाद उपचुनाव जीतकर सांसद बने। 1967 में, वे कन्नौज सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। डॉ. लोहिया का योगदान भारतीय राजनीति और समाज में आज भी प्रासंगिक है।