सिनेमा की दुनिया से बड़ी खबर आई है। भारतीय सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
8 अक्टूबर को प्रदान किया जाएगा यह पुरस्कार
पश्चिम बंगाल के सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती को यह पुरस्कार मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024 को आयोजित होने वाले 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा। ऐसे में 8 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल में शुरू होने जा रहा नवरात्रि का मौसम यानि दुर्गा पूजा पर्व और भी खास होने वाला है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी जानकारी
यह जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है। बताना चाहेंगे 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
https://x.com/AshwiniVaishnaw/status/1840609074041225415
मिथुन दा की उल्लेखनीय सिनेमाई यात्रा पीढ़ियों को करती है प्रेरित
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, मिथुन दा की उल्लेखनीय सिनेमाई यात्रा पीढ़ियों को प्रेरित करती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक साधारण परिवार से एक प्रसिद्ध फिल्म आइकन बनने तक मिथुन चक्रवर्ती का सफर उम्मीद और दृढ़ता की भावना को दर्शाता है, जो साबित करता है कि जुनून और समर्पण के साथ, कोई भी सबसे महत्वाकांक्षी सपने को भी हासिल कर सकता है। उनके समर्पण और कड़ी मेहनत ने उन्हें महत्वाकांक्षी अभिनेताओं और कलाकारों के लिए एक आदर्श बना दिया है।
मिथुन दा का उल्लेखनीय सफर
सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती ने न केवल भारतीय फिल्मों में अभिनय किया है बल्कि बंगाली फिल्मों में उन्हें सुपरस्टार के तौर पर देखा जाता रहा है। मिथुन चक्रवर्ती, जिन्हें ‘मिथुन दा’ के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेता, निर्माता और राजनीतिज्ञ हैं। मिथुन चक्रवर्ती को उनकी बहुमुखी भूमिकाओं और विशिष्ट नृत्य शैली के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपनी फिल्मों में कई तरह की भूमिकाएं अदा की हैं, जिसमें एक्शन से भरपूर किरदारों से लेकर मार्मिक नाटकीय प्रदर्शन तक शामिल हैं।
1976 में अपनी पहली ही फिल्म “मृगया” में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता
16 जून, 1950 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में जन्मे ‘गौरांग चक्रवर्ती’ ने अपनी पहली ही फिल्म “मृगया” (1976) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। प्रतिष्ठित फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) के पूर्व छात्र, मिथुन चक्रवर्ती ने अपने हुनर को निखारा और सिनेमा में अपने शानदार करियर की नींव रखी।
1980 के दशक में फिल्म “डिस्को डांसर” से घर-घर में मशहूर हो गए मिथुन
मृणाल सेन की फिल्म में संथाल विद्रोही की भूमिका निभाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली। मिथुन ने 1980 के दशक में “डिस्को डांसर” (1982) में अपनी भूमिका से काफी लोकप्रियता हासिल की। यह एक ऐसी फिल्म थी जो भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी सफलता बन गई, जिसने उन्हें एक डांसिंग सनसनी के रूप में स्थापित कर दिया। डिस्को डांसर (1982) में अपनी प्रतिष्ठित भूमिका से वे घर-घर में मशहूर हो गए, यह एक ऐसी फिल्म थी जिसने न केवल उनके असाधारण नृत्य कौशल को प्रदर्शित किया बल्कि भारतीय सिनेमा में डिस्को संगीत को भी लोकप्रिय बनाया।
‘अग्निपथ’ में 1990 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला
अग्निपथ में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें 1990 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। बाद में, उन्होंने तहदेर कथा (1992) और स्वामी विवेकानंद (1998) में अपनी भूमिकाओं के लिए दो और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते।
हिंदी, बंगाली, ओडिया, भोजपुरी और तेलुगु सहित 350 से अधिक फिल्मों में किया अभिनय
अपने व्यापक करियर के दौरान, मिथुन ने हिंदी, बंगाली, ओडिया, भोजपुरी और तेलुगु सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। उन्हें एक्शन से लेकर ड्रामा और कॉमेडी तक के अपने विविध अभिनय के लिए जाना जाता है और उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं।
मिथुन दा की दोहरी विरासत
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मिथुन दा को न केवल उनकी सिनेमाई उपलब्धियों के लिए बल्कि सामाजिक कार्यों के प्रति उनके समर्पण के लिए भी जाना जाता है। वे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और वंचित समुदायों का समर्थन करने के उद्देश्य से विभिन्न धर्मार्थ पहलों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, जो समाज को वापस देने के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने संसद सदस्य के रूप में भी काम किया है, जो सार्वजनिक सेवा और शासन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
लगभग पांच दशकों के करियर में, मिथुन चक्रवर्ती ने कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जो भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देते हैं। उन्हें हाल ही में भारतीय सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। “डिस्को डांसर” और “घर एक मंदिर” जैसी क्लासिक फिल्मों के साथ, उन्होंने न केवल लाखों लोगों का मनोरंजन किया है, बल्कि बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा के परिदृश्य को भी आकार दिया है। उनका प्रभाव सिल्वर स्क्रीन से परे भी फैला हुआ है, क्योंकि वे फिल्म और परोपकार के क्षेत्र में अपने काम के माध्यम से पीढ़ियों को प्रेरित करते रहते हैं।