प्रतिक्रिया | Wednesday, April 02, 2025

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भारत या कहें नए भारत ने पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, खासकर आर्थिक क्षेत्र में जोरदार उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2015 में भारतीय इकोनॉमी जहां 2.1 ट्रिलियन डॉलर की थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 4.3 ट्रिलियन डॉलर की हो गई है। यह ग्रोथ लगभग 105% की है, जो वास्तव में चौंका देने वाली है। यह प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सर्वश्रेष्ठ ग्रोथ है। ऐसा हम नहीं, बल्कि आईएमएफ की रिपोर्ट बता रही है। वास्तविकता के धरातल पर काम करने और हवाई भाषण देकर नैरेटिव गढ़ने में वही फर्क है, जो भारत के प्रधानमंत्री मोदी और विपक्ष में है।

मोदीनॉमिक्स एक ऐसा सच है, जिसे दुनियाभर की आर्थिक शक्तियां स्वीकार कर रही हैं, लेकिन विपक्ष मानने को तैयार नहीं है। एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी की विकासवादी सोच है और दृढ़ संकल्प है, जिसके सकारात्मक परिणाम भारतीय अर्थव्यवस्था पर हमने पिछले 10 वर्षों में देखे हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष है जो लगातार “अब पछताए का होत है” की तर्ज पर नैरेटिव गढ़कर अपनी हताशा छुपाने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने पिछले 10 वर्षों में वो कर दिखाया जो गैरभाजपा सरकारें 7 दशकों में नहीं कर पाई। उनके पास भी मौका था लेकिन दृष्टि और संकल्प की कमी थी लिहाजा अच्छा मौका हाथ से निकलने के बाद अब उनके पास हाथ मलने के अलावा कुछ नहीं।

पिछले 10 वर्षों में भारत की GDP ने ऐतिहासिक छलांग लगाई, 2015 में 2.1 ट्रिलियन डॉलर से दोगुनी बढ़कर 2025 में 4.3 ट्रिलियन डॉलर हो गई है। हमको नहीं भूलना चाहिए कि इन 10 वर्षों में कोरोना महामारी के दो बहुत ही कठिन और चुनौती पूर्ण वर्ष भी थे। इस महामारी ने विश्व की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं को बुरी तरह झकझोर दिया फिर भी भारत ने उस चोट को भी झेल लिया। यह पीएम मोदी के विजन, दृढ़ संकल्प और देश जनता के सहयोग से ही संभव हुआ।

आपको याद होगा कि कोरोना काल के समय पीएम मोदी के हर आह्वान, अपील, फैसले और पहल को, फेक नैरेटिव के जरिए असफल करने की लगातार कोशिश हुई, कभी कोरोना वैक्सीन के बहाने तो कभी सरकार पर आंकड़ों को छुपाने का आरोप लगाने के बहाने। लेकिन कहते हैं न कि जब नियत साफ हो विजन क्लियर हो और जनता का साथ हो तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

यह अभूतपूर्व उपलब्धि पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी नीतियों का ही परिणाम है, जो भारत की आर्थिक ताकत के वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है। भारत के मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के कारण जीडीपी 2025 में भी अन्य देशों से बेहतर रहने का अनुमान है। दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत में इस वर्ष भी 6.6% और 2026 में 6.8% के आसपास जीडीपी की उम्मीद है, जो मजबूत निजी खपत और निवेश से प्रेरित है। यही तेजी, भारत को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रही है। आईएमएफ के अनुसार, यह विकास दर बनी रही, तो भारत 2025 के अंत तक जापान और 2027 तक जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा।

यह कहने में संकोच नहीं कि भारत वैश्विक आर्थिक शक्ति बन चुका है और वह दिन दूर नहीं जब भारत की गिनती दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में होगी। अब सवाल उठता है कि ऐसा कैसे सम्भव हुआ? इसका उत्तर है, प्रधानमंत्री मोदी में जोखिम लेने की अपूर्व क्षमता है। साहसिक निर्णयों, निवेश को बढ़ावा देने और व्यापार को आसान बनाने से सकारात्मक परिणाम आए और भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था बन गया है।

भारत अब अपनी विशाल श्रमशक्ति और नारी सशक्तिकरण पर ख़ास ध्यान दे रहा है। ये सुधार ही 2047 तक भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेंगे। संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में लगभग 6.6% की दर से बढ़ेगी, जो वैश्विक विकास में अपनी प्रमुख भूमिका बरकरार रखेगी, ऐसा अनुमान है।

वहीं, मुद्रास्फीति में कमी और अर्थव्यवस्थाओं में प्रत्याशित मौद्रिक सहजता, 2025 में वैश्विक गतिविधियों को बढ़ावा देने में मददगार हो सकती हैं। ऊर्जा क्षेत्र के लिए भारत समेत अन्य दक्षिण एशियाई देशों की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है, खासकर खनिजों क्षेत्र में अच्छे अवसर अवसर हैं। लिथियम, कोबाल्ट और रेयर अर्थ एलिमेंट्स की बढ़ती वैश्विक मांग को भारत के लिए अवसर में तब्दील करने में प्रधानमंत्री मोदी को महारत है।

पीएम मोदी को पता है कि भारत की जीडीपी वृद्धि में मजबूत सेवाक्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। खास कर आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाएं, बीपीओ और फिनटेक भारत की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। देश आउटसोर्सिंग और सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र है।

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है, जो देश को बढ़त प्रदान करती है। भारत की युवा शक्ति और बड़ी वर्कफ़ोर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। बढ़ता मध्यम वर्ग, मांग और खपत को बढ़ाता है। इसकी भी अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका है। तेज शहरीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास खासकर बेहतर सड़कें, रेलवे, स्मार्ट शहरों और डिजिटलीकरण और बुनियादी ढांचे में निवेश आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। बढ़ता उत्पादन और “मेक इन इंडिया” पहल, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और रक्षा उपकरण क्षेत्र में सरकारी प्रोत्साहन और विदेशी निवेश औद्योगिक विकास में मदद कर रहे हैं।

डिजिटल क्रांति और स्टार्टअप की भी महत्पूर्ण भूमिका है। डिजिटल भुगतान, ई-कॉमर्स और स्टार्टअप इकोसिस्टम में वृद्धि, नवाचार और निवेश को बढ़ावा दे रही है। भारत में एक मजबूत यूनिकॉर्न स्टार्टअप संस्कृति है। कृषि और ग्रामीण विकास मजबूत अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। कृषि क्षेत्र में सुधार और आधुनिकीकरण से उत्पादकता में सुधार हुआ है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और व्यापार नीतियाँ, उदारीकृत व्यापार नीतियों और व्यापार करने में आसानी जैसे सुधारों ने भारत में वैश्विक निवेश को आकर्षित किया है। सरकारी नीतियाँ और आर्थिक सुधार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। जीएसटी, कॉर्पोरेट कर कटौती, श्रम कानून सुधार और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएँ निवेश और आर्थिक विस्तार को प्रोत्साहित करती हैं।

मजबूत घरेलू खपत भी भारत की अर्थ व्यवस्था को मजबूत कर रहीं हैं। बढ़ती आय वाली बड़ी आबादी वस्तुओं, सेवाओं और रियल एस्टेट की मांग को लगातार बढ़ा रहीं हैं। रिन्यूएबल एनर्जी और स्थिरता, सौर, पवन और हरित ऊर्जा के लिए भारत का प्रयास नए उद्योगों और नौकरियों का सृजन कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने देश की इसी क्षमता और ताकत को पहचाना, इसका अहसास नागरिको को कराया और उन्हें प्रेरित किया, जिसका नतीजा एक मजबूत होती अर्थ व्यवस्था के रूप में सामने है।

(वरिष्ठ पत्रकार राजीव ओझा अमर उजाला, दैनिक हिन्दुस्तान समेत कई मीडिया संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं।)

 

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आखरी अपडेट: 2nd Apr 2025