अर्थव्यवस्था के र्मोचे पर अच्छी खबर आई है। वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है, लेकिन कुछ उच्च आवृत्ति संकेतकों में नरमी के कारण परिदृश्य नरम प्रतीत होता है। राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
खाद्य और गैर-खाद्य दोनों की बैंक ऋण वृद्धि में कमी
एनसीएईआर की अगस्त महीने के लिए जारी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (खाद्य और गैर-खाद्य दोनों) की बैंक ऋण वृद्धि जून, 2024 में कम हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक व्यक्तिगत ऋण वृद्धि और सेवा क्षेत्र के लिए बैंक लोन में कमी आई है।
विनिर्माण और सेवाओं के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक में भी मामूली गिरावट
इस रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई, 2024 में विनिर्माण और सेवाओं के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) में मामूली गिरावट दर्ज हुई, लेकिन इसकी विस्तारवादी गति बनी रही। हालांकि, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और प्रमुख उद्योगों के लिए आईआईपी में वृद्धि जून 2024 में कम हुई है।
सेवा व्यापार अधिशेष में क्रमिक रूप से हुई वृद्धि
आर्थिक थिंक टैंक एनसीएईआर की जारी समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्य महंगाई जुलाई 2024 में घटी है, जिसका मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आना है। रिपोर्ट के अनुसार मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के कारण जुलाई, 2024 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में भी गिरावट आई है। इसमें यह भी कहा गया है कि जुलाई, 2024 में वस्तु व्यापार घाटा बढ़ गया, जबकि सेवा व्यापार अधिशेष में क्रमिक रूप से वृद्धि हुई है।
उल्लेखनीय है कि एनसीएईआर देश का सबसे पुराना और सबसे बड़ा एक स्वतंत्र तथा गैर-लाभकारी आर्थिक नीति अनुसंधान संस्थान है। इसकी स्थापना 1956 में हुई थी। (इनपुट-हिंदुस्थान समाचार)