प्रतिक्रिया | Monday, September 16, 2024

वैज्ञानिकों ने एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन सेंसर प्रणाली विकसित की है, जो पार्किंसंस बीमारी की रोकथाम में सहायता प्रदान कर सकती है। यह सेंसर शरीर में एल-डोपा की सांद्रता का सटीक पता लगाने में मदद करेगा, जिससे इस रोग की प्रभावी रोकथाम के लिए आवश्यक सटीक खुराक का निर्धारण करने में मदद मिलेगी।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आज एक बयान जारी कर इसके बारे में बताया है। पार्किंसंस रोग को न्यूरॉन कोशिकाओं में लगातार गिरावट से पहचाना जाता है। जिससे हमारे शरीर में डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमीटर) के स्तर में काफी कमी आ जाती है। एल-डोपा एक रसायन है जो हमारे शरीर में डोपामाइन में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए यह एंटी-पार्किंसंस दवाओं के रूप में कार्य करता है। यह डोपामाइन की कमी को पूरा करने में मदद करता है। जब तक शरीर को एल-डोपा की सही मात्रा दी जाती है, तब तक यह रोग नियंत्रण में रहता है। हालांकि, पार्किंसंस की प्रगामी प्रकृति के कारण, जैसे-जैसे रोगी की उम्र बढ़ती है, न्यूरॉन्स की निरंतर हानि को पूरा करने के लिए अधिक एल-डोपा की आवश्यकता होती है।

हालांकि, एल-डोपा की अधिक मात्रा से रोगी में डिस्केनेसिया, गैस्ट्राइटिस, साइकोसिस, पैरानोया ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन जैसे गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जबकि एल-डोपा की बहुत कम मात्रा से पार्किंसंस के लक्षण वापस आ सकते हैं। इस रोग की चिकित्सा में एल-डोपा के अधिकतम स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, जैविक तरल पदार्थों में एल-डोपा की निगरानी के लिए एक सरल, किफायती, संवेदनशील और त्वरित विधि विकसित करने की आवश्यकता है।

मंत्रालय ने बताया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) ने जैविक नमूनों में एल-डोपा के निम्न स्तर का तुरंत पता लगाने के लिए फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन मैकेनिज्म का उपयोग करते हुए एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित ऑप्टिकल सेंसर प्रणाली विकसित की है। सेंसर को कम ग्रेफीन ऑक्साइड नैनोकणों की सतह पर बॉम्बेक्स मोरी सिल्क कोकून से प्राप्त किए गए सिल्क-फाइब्रोइन प्रोटीन नैनो-लेयर की कोटिंग करके बनाया गया है। यह प्रणाली उत्कृष्ट फोटोलुमिनेसेंस गुणों के साथ कोर-शेल ग्रेफीन-आधारित क्वांटम डॉट्स का निर्माण करती है, जो इसे 5 μM से 35 μM की रैखिक सीमा के अंदर रक्त प्लाज्मा, पसीने और मूत्र जैसे वास्तविक नमूनों में एल-डोपा का पता लगाने के लिए एक प्रभावी फ्लोरोसेंट टर्न-ऑन सेंसर जांच बनाती है। समतुल्‍य पहचान सीमा का निर्धारण क्रमशः 95.14 एनएम, 93.81 एनएम और 104.04 एनएम किया गया है।

शोधकर्ताओं ने एक स्मार्टफोन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार किया है जिसमें एक इलेक्ट्रिक सर्किट 5 वी स्मार्टफोन चार्जर द्वारा संचालित 365 एनएम एलईडी से जुड़ा है। पूरे सेटअप को बाहरी प्रकाश से अलग करने के लिए एक अंधेरे कक्ष में रखा जाता है। यह सरल, किफायती और त्वरित स्क्रीनिंग उपकरण उन्नत उपकरणों की कमी वाले दूरदराज के क्षेत्रों में मौके पर ही विश्लेषक का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है। रोगी के जैविक नमूनों में यह पता चलने पर कि क्या एल-डोपा का स्तर कम है, यह सेंसर रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक खुराक को समायोजित करने में मदद कर सकता है।

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आखरी अपडेट: 16th Sep 2024