नीति आयोग ने गुरुवार (4 जुलाई) से तीन महीने का सम्पूर्णता अभियान आरंभ किया है। 30 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान में देशभर में छह प्रमुख संकेतकों पर आधारित परिपूर्णता हासिल करने के लिए आकांक्षी जिलों और प्रखंडों में अनवरत प्रयास किए जाएंगे। अभियान के पहले दिन जम्मू-कश्मीर से लेकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक जिला और ब्लॉक स्तर के लाखों अधिकारियों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, सामुदायिक क्षेत्र की हस्तियों के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों, छात्रों और स्थानीय प्रतिनिधियों (ब्लॉक प्रमुखों/सरपंचों) की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। इस कार्यक्रम के अंतर्गत देशभर के 112 जिलों और 500 प्रखंडों में छह चिन्हित संकेतकों के आधार पर परिपूर्णता प्राप्त करने का लक्ष्य है।
नीति आयोग ने एक बयान जारी कर इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के रतलाम और सिंगरौली जैसे स्थानों पर अभियान के प्रमुख संकेतकों पर जोर देते हुए शिविरों का आयोजन भी शामिल था। इसी तरह, उत्तराखंड के उधम सिंह नगर और हरियाणा के नूंह के जिला मुख्यालयों पर धूमधाम और स्थानीय भागीदारी के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। उत्तर-पूर्वी राज्यों ने भी पूरे जोश के साथ भाग लिया। आंध्र प्रदेश के अन्नामय्या जिले के कुराबलाकोटा मंडल में आयोजित स्वास्थ्य शिविर का स्थानीय लोगों ने भारी उत्साह के साथ स्वागत किया। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के बांसगांव ब्लॉक और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के निरमंड ब्लॉक में सैकड़ों आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए क्षेत्रीय भोजन की पौष्टिक किस्मों को प्रदर्शित करने के लिए एकत्र हुई। ‘सम्पूर्णता अभियान’ का उत्सव मनाते हुए समर्पित सेल्फी बूथों पर तस्वीरें क्लिक करते खुश चेहरे एक आम दृश्य थे।
तीन महीने तक चलने वाले ‘सम्पूर्णता अभियान’ के हिस्से के रूप में, जिला और ब्लॉक के अधिकारी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर ग्राम सभा, नुक्कड़ नाटक, पौष्टिक आहार मेला, स्वास्थ्य शिविर, आईसीडीएस शिविर, जागरूकता मार्च और रैलियां, प्रदर्शनी, पोस्टर मेकिंग और कविता प्रतियोगिता जैसी जागरूकता गतिविधियां आयोजित करेंगे, जो सभी आकांक्षी ब्लॉकों और जिलों में शत-प्रतिशत संतृप्ति के लिए पहचाने गए 12 विषयों पर आधारित होंगी।
उल्लेखनीय है, सम्पूर्णता अभियान प्रदर्शन के जिन प्रमुख संकेतकों पर ध्यान देगा, उनमें शामिल हैं- ऐसी गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत, जिन्हें देखभाल के लिए पंजीकृत किया गया है, मधुमेह से पीड़ित लोगों का प्रतिशत, हाइपरटेंशन से पीड़ित व्यक्तियों का प्रतिशत, ऐसी गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत जिन्हें अतिरिक्त पोषण प्रदान किया जा रहा है, मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Cards) जारी किए जाने का प्रतिशत और ऐसे स्वयं सहायता समूहों का प्रतिशत जिन्हें प्रखंड स्तर पर राशि दी गई है।
बता दें, नीति आयोग के अधिकारी और युवा पेशेवर अभियान को प्रभावी ढंग से आयोजित करने और क्रियान्वित करने में स्थानीय शासन का मार्गदर्शन व समर्थन करने के लिए 300 जिलों में व्यक्तिगत रूप से शुभारंभ किए गए कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। दरअसल संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों तथा राज्य एवं केंद्र-शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ सहयोग से न केवल अभियान के उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयासों को बल मिलेगा, बल्कि दूरदराज के इलाकों में सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में प्रतिस्पर्धात्मक और सहकारी संघवाद की भावना को भी मजबूती मिलेगी।