सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें सरकारी प्रणालियों में डेटा गुणवत्ता ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। केवल इतना ही नहीं रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि खराब डेटा गुणवत्ता डिजिटल शासन, सार्वजनिक विश्वास और सेवा वितरण को कमजोर कर सकती है।
इसका शीर्षक है- भारत की डेटा अनिवार्यता : गुणवत्ता पर बल
इस संबंध में नीति आयोग ने एक बयान में कहा कि आयोग ने अपनी तिमाही अंतर्दृष्टि शृंखला फ्यूचर फ्रंट का तीसरा संस्करण जारी किया है। इसका शीर्षक है- भारत की डेटा अनिवार्यता : गुणवत्ता पर बल।
ये रिपोर्ट डिजिटल शासन को मजबूत करने, जनता का विश्वास बढ़ाने और कुशल सेवा वितरण सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से मजबूत डेटा गुणवत्ता की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।
इस रिपोर्ट में क्या है खास ?
इस रिपोर्ट में खराब डेटा गुणवत्ता से उत्पन्न व्यापक चुनौतियों की आलोचनात्मक जांच की गई है। रिपोर्ट में व्यावहारिक, उपयोग में आसान उपकरण प्रस्तुत किए गए हैं, जैसे डेटा गुणवत्ता विशेषताओं को मापने और ट्रैक करने के लिए डेटा-गुणवत्ता स्कोरकार्ड तथा स्व-मूल्यांकन और रोडमैप विकास के लिए डेटा-गुणवत्ता परिपक्वता फ्रेमवर्क।
इसके विमोचन के अवसर पर नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग और नीति आयोग की प्रतिष्ठित फेलो देबजानी घोष सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने इस बारे में अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, डोमेन विशेषज्ञ, नीति आयोग के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।