प्रतिक्रिया | Thursday, December 26, 2024

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हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को नो स्मोकिंग डे यानी धूम्रपान निषेध दिवस’ मनाया जाता है। इस बार धूम्रपान निषेध दिवस’ 13 मार्च यानि आज को मनाया जा रहा है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य सिगरेट तथा अन्य साधनों के माध्यम से तंबाकू उपभोग से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता प्रसारित करना है। धूम्रपान का घातक प्रभाव से कई बार हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, स्ट्रोक और विभिन्न प्रकार के कैंसर में से संभावित मौखिक कैंसर जैसी गंभीर स्थितियां विकसित हो जाती है। लेकिन अक्सर धूम्रपान न करने वाले भी इससे होने वाली बीमारी के शिकार हो जाते हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी खतरनाक
धूम्रपान व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक असर डालता है। खासतौर पर अगर गर्भवती धूम्रपान करती हैं तो महिला और उसके गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए यह हानिकारक है। दरअसल कई बार लोग खुद धूम्रपान नहीं करते हैं मगर धूम्रपान करने वाले दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवारजनों के बीच रहकर सेकेंड हैंड स्मोकिंग यानि दूसरों के धूम्रपान के धुएं का सेवन करते हैं। ऐसे लोगों को भ्रम हो सकता है कि उन्हें कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा इसलिए नहीं है क्योंकि वह तो सिगरेट पीते ही नहीं। मगर सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी उतनी ही खतरनाक है जितनी कि खुद सिगरेट पीने वाले को।

धूम्रपान से नवजात बच्चे में हड्डियों के टूटने का खतरा
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता ने बताया कि यदि गर्भवती महिला धूम्रपान करती है तो उसके गर्भस्थ शिशु की हड्डियां कमजोर होने का खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि धूम्रपान से शरीर में निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे हानिकारक केमिकल्स प्रवेश कर जाते हैं जो शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा कर शरीर को बीमार करने का काम करते हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को धूम्रपान से दूर रहना चाहिए, क्योंकि धूम्रपान से गर्भवती और उसके गर्भस्थ शिशु की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।

एक शोध के अनुसार गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से नवजात बच्चे में हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इस शोध के निष्कर्षों को 16 लाख शिशुओं के डाटा के आधार पर तय किया गया है। शोध के लिए गर्भावस्था के दौरान जो महिलाएं धूम्रपान करती थी और जिन्होंने इस दौरान धूम्रपान नहीं किया उनके शिशुओं का ब्यौरा एकत्र किया गया। इसके बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि गर्भ धारण करने के दौरान अगर कोई महिला सिगरेट पीती हैं तो उसके होने वाले बच्चे के हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए यह घातक होता है और शिशु में हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

धूम्रपान की लत से लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु
डब्ल्यूएचओ के अनुसार धूम्रपान की लत से हर साल लगभग 80 लाख लोग मारे जा रहे हैं और इनमें से अधिकतर मौतें कम तथा मध्यम आय वाले देशों में हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ ने पनामा में एक सम्मेलन में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वर्ष 2030 में प्रति वर्ष धूम्रपान की वजह से मारे जाने लोगों की संख्या बढ़कर एक करोड़ के आसपास हो जाएगी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 92 देशों के 2.3 अरब लोगों को धूम्रपान पर किसी न किसी तरह लगाए गए प्रतिबंधों से लाभ हुआ है। मतलब साफ है कि आने वाले समय में इनमें से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को ही होने जा रहा है।

गर्भावस्था में धूम्रपान से गर्भपात का खतरा
डा. सुजाता बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे को कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसकी वजह से गर्भपात का खतरा बना रहता है और समय से पहले बच्चे का जन्म भी हो सकता है। गर्भावस्था में धूम्रपान से गर्भपात का खतरा बना रहता है। इसकी वजह से महिला के गर्भवती होने के पहले तीन महीने के भीतर गर्भपात हो सकता है। कई बार गर्भवास्था के 20 सप्ताह के बाद भी गर्भपात हो सकता है। धूम्रपान के दौरान तंबाकू के धुएं में मौजूद हानिकारक केमिकल्स भ्रूण के विकास को रोकने और उसे नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। गर्भावस्था में धूम्रपान करने से मां के शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं पहुंचती है, जिससे शिशु को सांस संबंधी परेशानी हो सकती है, साथ ही उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे भ्रूण को पोषक तत्व और ऑक्सीजन की सप्लाई करने का काम प्लेसेंटा करता है। इस दौरान धूम्रपान से महिलाओं में प्लेसेंटल दिक्कतें हो सकती हैं जिसकी वजह से गंभीर रूप से ब्लीडिंग हो सकती है और इसके कारण मां और बच्चे दोनों की जान को गंभीर खतरा रहता है। साथ ही जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है। बच्चे को दिल की बीमारियों सहित सुनने और आंख से जुड़ी परेशानियां भी हो सकती हैं।

यह है कानून
हर वर्ष मार्च माह का दूसरा बुधवार धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1984 में हुई थी। सरकार ने इसकी आपदा से लोगों को बचाने के लिए तंबाकू नियंत्रण कानून कोटपा-2003 बनाया है। इसकी धारा 5 के अनुसार किसी भी तंबाकू उत्पाद का विज्ञापन या प्रायोजन, नाबालिगों द्वारा तंबाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है। शैक्षणिक संस्थानों के 300 फीट के दायरे में तंबाकू उत्पाद नहीं बेचे जा सकते। कानून की धारा 4 के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंधित है। कोई सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करता है तो उसे 200 रुपये जुर्माना का प्राविधान है।

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आखरी अपडेट: 27th Dec 2024