केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को दिल्ली में रक्षा प्रौद्योगिकी त्वरण पर डीआरडीओ (DRDO) इंडस्ट्री वर्कशॉप को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी नई पीढ़ी के वैज्ञानिक और इंजीनियर भारत के रक्षा क्षेत्र के भविष्य को प्रोजेक्ट करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आप भी हमारी सेना की तरह देश के एक मजबूत योद्धा हैं। समय और समाज में जिस तरह से परिवर्तन हो रहा है, हमें उसे और गहराई से समझने और भविष्य के लिए तैयार होना आवश्यक है। उन्होने कहा कि मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि निजी क्षेत्र रक्षा क्षेत्र की भागीदारी में अग्रणी भूमिका निभाए।
राजनाथ सिंह ने कहा, “आज हम अपने आस-पास पारंपरिक युद्ध का जो रूप देखते हैं, वह 50-60 साल पहले के स्वरूप से बहुत अलग है आज, प्रौद्योगिकी के कारण, आप उनमें एक बड़ा बदलाव देख रहे हैं। रक्षा क्षेत्र पर टेक्नोलॉजी का प्रभाव पारंपरिक युद्ध तक सीमित नहीं है, इसने ड्रोन, साइबर युद्ध, जैव-हथियार और अंतरिक्ष रक्षा सहित अपरंपरागत युद्ध को जन्म दिया है। ये तत्व रक्षा क्षेत्र के लिए चुनौतियां पैदा करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि प्राइवेट सेक्टर डिफेंस सेक्टर की भागीदारी में अग्रणी भूमिका निभाए। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि निजी उद्योग में न केवल तेजी से बदलाव को आत्मसात करने बल्कि नए नवाचार (innovation) बनाने की भी क्षमता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय के साथ साझेदारी में, भारत के रक्षा क्षेत्र को और अधिक नवीन और प्रौद्योगिकी-उन्मुख (technology-oriented) बनाने के लिए समर्पित है। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय के साथ, भारत के रक्षा क्षेत्र को और अधिक नवीन और प्रौद्योगिकी-उन्मुख बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और इसके परिणाम पहले से ही दिखाई दे रहे हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास में वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स, एमएसएमई और युवा उद्यमियों के सहयोगात्मक प्रयास हमारे रक्षा क्षेत्र को मजबूत करेंगे।