केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कारोबार को आसान बनाने और दक्षता बढ़ाने के लिए ‘वन नेशन-वन पोर्ट” (ओएनओपी) का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि भारत पोर्ट्स ग्लोबल कंसोर्टियम भारत की समुद्री पहुंच का विस्तार करेगा, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगा। सोनोवाल ने मैत्री लोगो को लॉन्च किया। इसका उद्देश्य एआई और ब्लॉकचेन के माध्यम से डिजिटल एकीकरण के साथ वैश्विक व्यापार को बदलना है, ताकि निर्बाध ‘वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर’ बनाया जा सके।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि ‘‘वन नेशन-वन पोर्ट’ प्रक्रिया और सागर अंकन-एलपीपीआई सूचकांक के शुभारंभ के साथ भारत मानकीकृत, कुशल और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बंदरगाहों की दिशा में एक निर्णायक कदम उठा रहा है। इन पहलों की शुरुआत आज मुंबई में हितधारकों की एक बैठक के दौरान की गई, जिसमें समुद्री क्षेत्र के लिए केंद्रीय बजट में की गई प्रमुख घोषणाएं है। इसके अलावा विभिन्न संभावनाओं पर चर्चा की गई। इस कदम का उद्देश्य दस्तावेज़ीकरण और प्रक्रियाओं में विसंगतियों को दूर करना है, जिसके कारण अकुशलता, बढ़ी हुई लागत और परिचालन में देरी होती है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “मुझे अपने मंत्रालय की महत्वपूर्ण पहलों का शुभारम्भ करते हुए बहुत खुशी हो रही है। ‘वन नेशन – वन पोर्ट’ प्रक्रिया और सागर आंकलन – एलपीपीआई इंडेक्स के शुभारंभ के साथ, भारत मानकीकृत, कुशल और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बंदरगाहों की ओर एक निर्णायक कदम उठा रहा है। बंदरगाह के प्रदर्शन को बढ़ाने और लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने से, हम अकुशलता को कम कर रहे हैं, कार्बन उत्सर्जन में कटौती कर रहे हैं और वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। आधुनिक, हरित और स्मार्ट बंदरगाह बुनियादी ढांचे के लिए हमारी प्रतिबद्धता न केवल आर्थिक सुदृढ़ता को बढ़ावा देगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी समुद्री भविष्य भी सुनिश्चित करेगी। यह भारत को एक समुद्री महाशक्ति बनाने, 2047 तक आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत में योगदान देने की दिशा में एक परिवर्तनकारी छलांग है।”
उन्होंने भारत की समुद्री पहुंच का विस्तार करके और वैश्विक व्यापार में मजबूती बढ़ाकर वैश्विक व्यापार को मजबूत करने के लिए भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम का भी शुभारम्भ किया। उन्होंने व्यापार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, नौकरशाही अतिरेक को कम करने और मंजूरी में तेजी लाने के उद्देश्य से मैत्री लोगो (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और नियामक इंटरफेस के लिए मास्टर एप्लीकेशन) का भी शुभारंभ किया, जिससे कारोबार करने में आसानी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बल मिला।