म्यांमार में 28 मार्च को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत ने वहां रह रहे भारतीय मूल के लोगों की मदद के लिए बड़ा कदम उठाया है। “ऑपरेशन ब्रह्मा” के तहत भारत ने म्यांमार के यांगून क्षेत्र में भारतीय समुदाय को जरूरी राहत सामग्री भेजी है।
म्यांमार में भारत के राजदूत अभय ठाकुर ने यांगून में एक समुदाय राहत समूह को 15 टन चावल, खाना पकाने का तेल और अन्य खाद्य सामग्री सौंपी। वहीं, भारत के मंडले स्थित वाणिज्य दूतावास ने अंबिका मंदिर की रसोई के लिए जनरेटर, पानी शुद्ध करने वाली मशीन और तेल भेजा। यह रसोई हर दिन लगभग 4000 लोगों को भोजन प्रदान करती है।
इसके अलावा, म्यांमार के सबसे अधिक प्रभावित शहर मंडले में भारतीय सेना द्वारा बनाए गए फील्ड अस्पताल में अब तक 1,651 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। केवल 9 अप्रैल को ही 281 लोगों का इलाज हुआ और कई सर्जरी भी की गईं।
भारत ने अब तक कुल 625 टन राहत सामग्री म्यांमार को भेजी है, जिसमें 442 टन की हालिया खेप भी शामिल है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की 80 सदस्यीय टीम और चार प्रशिक्षित खोजी कुत्तों को भी राहत और बचाव कार्यों के लिए तैनात किया गया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भूकंप में अब तक 3,645 लोगों की मौत हो चुकी है, 5,017 घायल हैं और 148 लोग अब भी लापता हैं। भूकंप ने म्यांमार की राजधानी नेपीडाॅ समेत छह राज्यों और क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई है। बिजली, फोन और मोबाइल नेटवर्क ठप हो गए हैं, जिससे स्थिति का पूरी तरह से आकलन करना मुश्किल हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यह आपदा म्यांमार में पहले से जारी गृहयुद्ध के कारण पहले से ही खराब मानवीय संकट को और अधिक गंभीर बना रही है। वहां पहले ही तीन मिलियन से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं और करीब 20 मिलियन लोगों को किसी न किसी तरह की मदद की जरूरत है।