प्रतिक्रिया | Wednesday, April 23, 2025

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अरुणाचल प्रदेश में संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा सोमवार को दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। सम्मेलन में संघों के प्रमुखों, भिक्खुओं, शिक्षाविदों और भूटान, म्यांमार, कंबोडिया के प्रतिनिधियों सहित 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। वहीं, सेमिनार सत्रों में भूटान, म्यांमार, कंबोडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बुद्ध धम्म और पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति पर अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मेन ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित नामसाई जिला, सदियों पुरानी बौद्ध संस्कृति और परंपराओं से समृद्ध है तथा यह इस बात का अनूठा उदाहरण है कि यहां आज भी प्राचीन जीवन शैली का पालन किया जा रहा है।”

राज्य में बौद्ध पर्यटन सर्किट शुरू करने के सवाल पर चौना मेन ने कहा कि हमारी संस्कृति सामाजिक-धार्मिक त्योहारों में गहराई से पैठी है। हमने हाल ही में सोंगपा जल महोत्सव का समापन किया, जो अरुणाचल प्रदेश में खामती समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला बौद्ध उत्सव है, विशेष रूप से नामसाई और चांगलांग और ईटानगर जैसे अन्य क्षेत्रों में, जिसमें विदेशों से आगंतुकों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह एक बड़ी सफलता थी।

उन्होंने कहा कि राज्य में बौद्ध धर्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्राचीन तीर्थ स्थल भी हैं। उनके अनुसार उनकी जनजाति ताई खामती ने ही 1839 में अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की पहली लड़ाई शुरू की थी।

उन्होंने बताया, “हमने एंग्लो-खामती युद्ध में अंग्रेजों को हराया और इसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों ने हमारे गांवों को जला दिया और हमारी जनजाति को उत्तर पूर्व के कई क्षेत्रों में अलग-थलग कर दिया।”

उपमुख्यमंत्री मेन के अनुसार, उन्होंने अपनी खामती लिपि के माध्यम से पाली भाषा को संरक्षित रखा है। वास्तव में, राज्य में केवल दो प्राचीन लिपियाँ हैं, उनकी (लिक ताई) और भोटी। यहाँ तक कि रामायण और महाभारत भी खामती लिपि (लिक ताई) में लिखे गए हैं।

चौना मेन ने इस क्षेत्र में महाबोधि सोसाइटी द्वारा किए जा रहे बड़े पैमाने पर अच्छे कार्यों के बारे में भी बताया और उम्मीद जताई कि इस क्षेत्र के युवाओं के सशक्तिकरण के लिए एक कौशल विकास केंद्र स्थापित किया जाएगा।

उल्लेखनीय है, आज मंगलवार को गोल्डन पैगोडा में म्यांमार और थाईलैंड में हाल ही में आए भूकंप के पीड़ितों के लिए विशेष प्रार्थना और मंत्रोच्चार का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद विपश्यना पर एक सत्र होगा।

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आखरी अपडेट: 23rd Apr 2025