प्रतिक्रिया | Wednesday, April 30, 2025

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हिन्दुस्तान पिछले तकरीबन चार दशक से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा है। बीते 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस क्रूर घटना में देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। यह हमला न सिर्फ मानवता के विरुद्ध है। बल्कि, यह देश की एकता, सामाजिक समरसता और आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चेतावनी उभरकर सामने आया है।

धर्म पूछा और मार डाला

घटना की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुर्दांत आतंकियों ने ना किसी पर्यटक से उसकी जाति पूछी और ना ही क्षेत्र। बस, पूछा तो केवल धर्म। कुल मिलाकर, केवल धर्म के नाम पर हिंसा को अंजाम दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पर्यटकों से उनकी पहचान पूछी गई और कथित तौर पर ‘काफिर’ मानकर उन्हें निशाना बनाया गया। यह एक बार फिर उस कट्टरपंथी सोच को उजागर करता है, जो आतंकवाद को धार्मिक पहचान से जोड़कर अपनी नापाक साजिशों को अंजाम देती है।

पहले भी मिले संकेत

यह कोई पहली घटना नहीं है। हाल के वर्षों में पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल और मेवात जैसे इलाकों में भी ऐसी घटनाएं देखी गईं। पुलवामा जैसे आतंकी हमलों की छाया आज भी देश की सामूहिक स्मृति में ताजा है। इन हमलों का उद्देश्य स्पष्ट रहा है- भारत में अशांति फैलाना, सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना और सरकार व जनता के बीच अविश्वास पैदा करना।

सरकार की त्वरित और सख्त प्रतिक्रिया

पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने जिस तीव्रता से निर्णय लिए हैं, उनसे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार बैकफुट पर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए। विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग में सरकार की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ मंशा परिलक्षित हुई। खास बात यह है कि दुनियाभर के देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा की। भारत ने अटारी बॉर्डर पर चेक पोस्ट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया। सिंधु जल संधि को समाप्त कर दिया गया। पाकिस्तानियों को दिए जाने वाले वीजा पर भी प्रतिबंध लगाया गया। भारत स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के मामले में भी कुछ सीमाएं तय की गईं। पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास के कुछ स्टाफ को वापस बुला लिया गया।

रणनीतिक प्रतिक्रिया की संभावना

सुरक्षा विशेषज्ञों को मानें तो, ये कार्रवाई केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक जवाब की ओर भी संकेत कर रही हैं। भारत सरकार पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के जरिए यह स्पष्ट कर चुकी है कि, आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति ‘शून्य सहिष्णुता’ की है। अब, जब सरकार ने प्रारंभिक कूटनीतिक प्रतिक्रियाएं दे दी हैं, तो संभव है कि आने वाले दिनों में कोई कदम भी उठाया जाए। 

संप्रभुता के विरुद्ध संगठित साजिश

पहलगाम की घटना सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं है, बल्कि भारत की एकता, सुरक्षा और संप्रभुता के खिलाफ एक संगठित साजिश है। ऐसे समय में जब कुछ शक्तियां देश में डर और अविश्वास का माहौल बनाना चाहती हैं, सरकार का यह दृढ़ और निर्णायक रुख यह दर्शाता है कि भारत झुकने वाला नहीं है। 

जनता का सरकार पर भरोसा

ऐसे हालात में देश की जनता को भरोसा है कि यह सरकार केवल प्रतिक्रिया नहीं देती, बल्कि परिणाम भी सुनिश्चित करती है। शायद यही कारण है कि, आज फिर देश सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ठोस कदम की उम्मीद कर रहा है। एक ऐसा जवाब, जो न केवल हमले का बदला हो, बल्कि देश की सुरक्षा का भविष्य भी सुनिश्चित करे। वैसे भी, आम आदमी की मानें तो, ‘मोदी है तो मुमकिन है।’

 -(लेखक मृगेंद्र चतुर्वेदी वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्हें यात्रा और संगीत का शौक है।)

 

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आखरी अपडेट: 30th Apr 2025