प्रतिक्रिया | Tuesday, April 01, 2025

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पीएम मोदी ने समिट को किया संबोधित, कहा- ‘इंडिया फर्स्ट’ भारत की विदेश नीति का मंत्र

पीएम मोदी ने शुक्रवार को एक समिट को संबोधित करते हुए देश के विकास और भविष्य की दिशा पर विचार साझा किए। समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भारत की वर्तमान स्थिति और उसकी वैश्विक भूमिका के बारे में विस्तार से बात की।

भारत की भूमिका अब वैश्विक स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि आज दुनिया की नजर भारत पर है और हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि भारत कैसे महज कुछ सालों में विश्व की इकोनॉमी में अपना स्थान बढ़ा सका। उन्होंने भारत की इकोनॉमिक सफलता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत ने पिछले दशक में अपनी जीडीपी को दोगुना किया, जिससे 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए और एक नए मध्यम वर्ग का हिस्सा बने। पीएम ने बताया कि यह बदलाव आंकड़ों से कहीं बढ़कर है, इसका प्रभाव देश की पूरी जनसंख्या पर पड़ा है और यह भारत के विकास का एक महत्वपूर्ण संकेत है। भारत अब सिर्फ वैश्विक मंच पर भागीदार नहीं है, बल्कि वह भविष्य को आकार देने में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। कोरोना काल में भारत ने न केवल अपनी वैक्सीनेशन प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया, बल्कि 150 से अधिक देशों को मदद भी पहुंचाई। यह दिखाता है कि भारत की भूमिका अब वैश्विक स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण हो गई है।

भारत की नीति ‘इंडिया फर्स्ट’ पर आधारित
विदेश नीति के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि अब भारत की नीति ‘इंडिया फर्स्ट’ पर आधारित है, जहां भारत दुनिया के देशों से समान रूप से नजदीकी संबंध स्थापित कर रहा है, न कि पहले की तरह दूरी बनाए रखने की नीति का पालन कर रहा है। उन्होंने वैश्विक संस्थाओं की संरचना पर भारत के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि भारत ने वैश्विक आपदाओं के लिए आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना को लेकर गठबंधन (सीडीआरआई) जैसी पहल की, ताकि देशों को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयार किया जा सके।

छोटे देशों को सस्टेनेबल ऊर्जा उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त
पीएम ने भारत की ऊर्जा नीति के बारे में बात करते हुए बताया कि भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) जैसी पहल के जरिए छोटे देशों को सस्टेनेबल ऊर्जा उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने बताया कि 100 से अधिक देशों ने इस पहल में भाग लिया है, जिससे यह साबित होता है कि भारत वैश्विक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं की चर्चा की, जो एशिया, यूरोप और मध्य-पूर्व को जोड़ने के लिए एक महत्वाकांक्षी पहल है। इस परियोजना से न केवल व्यापार बढ़ेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी मजबूती मिलेगी।

टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है सरकार
उन्होंने आगे कहा कि सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, जीईएम यानी गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। डीबीटी की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्जी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है। हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आईटीआर फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज है।

मैन्युफैक्चरिंग और उत्पादन के क्षेत्र में भी बदलाव
उन्होंने अपने संबोधन के दौरान ‘स्वच्छ भारत मिशन’, ‘आयुष्मान भारत’ और ‘उज्ज्वला योजना’ जैसी योजनाओं के माध्यम से देश में हुए बदलावों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि आज भारत का हर नागरिक बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं से लाभान्वित हो रहा है। भारत ने अपनी आर्थिक स्थिति को सशक्त किया है और अब देश में मैन्युफैक्चरिंग और उत्पादन के क्षेत्र में भी बदलाव आ रहा है। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत अब दुनिया में एक बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है। उन्होंने भारत में मैन्युफैक्चरिंग उद्योग की सफलता के उदाहरण दिए और बताया कि अब भारत में निर्मित उत्पाद न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी सफलतापूर्वक निर्यात हो रहे हैं।

डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा
उन्होंने कहा कि ऑटोमोटिव सेक्टर की सफलता से आप भी अच्छी तरह से परिचित हैं। इससे जुड़े कंपोनेंट्स के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटरसाइकिल पार्ट्सपोर्ट में थे। लेकिन आज भारत में बने सामान यूएई और जर्मनी जैसे कई देशों तक पहुंच रहे हैं। सौर ऊर्जा सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सौर सेल, सायनोमायंट का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी उपलब्धियां, देश की विनिर्माण अर्थव्यवस्था की ताकतों को बढ़ावा देती हैं। आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली एमआरआई मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी एमआरआई मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया एमआरआई मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इस समिट का उद्देश्य देश की भविष्यवाणी करना है, जहां हम सभी मिलकर एक विकसित भारत की दिशा में काम करेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना पूरा होगा। इसके साथ ही उन्होंने भारत की युवा पीढ़ी को शुभकामनाएं दी और कहा कि आने वाले समय में युवा देश की सबसे बड़ी ताकत बनेंगे और 2047 तक भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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आखरी अपडेट: 1st Apr 2025