ईस्ट एशिया समिट के नए अध्यक्ष चुने जाने के बाद पीएम मोदी पहले ऐसा नेता हैं जिन्हें संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया है। यह दुनिया में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है। आसियान देशों से बाहर पीएम मोदी अब तक 19 में से 9 ईस्ट एशिया समिट में सबसे अधिक भाग लेने वाले एकमात्र नेता बन गए हैं।
ईस्ट एशिया समिट, जो पहली बार 2005 में मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित किया गया था। शुरुआत में इसमें 16 देश जिनमें आसियान सदस्य देश, भारत, चीन, जापान और अन्य देश शामिल थे, 2011 में अमेरिका और रूस को भी इसमें शामिल किया गया। क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने और मुद्दों को सुलझाने का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है।
अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत हमेशा से आसियान की एकता समर्थन करता रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की इंडो-पैसिफिक नीति और क्वाड सहयोग में आसियान की अहम भूमिका है। पीएम मोदी ने भारत की “इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव” और आसियान के “आउटलुक ऑन इंडो-पैसिफिक” के बीच गहरी समानताएं बताईं, और कहा कि इंडो-पैसिफिक का स्वतंत्र, खुला, समावेशी और नियम-आधारित होना पूरे क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए जरूरी है।
इससे पहले पीएम मोदी ने ईस्ट एशिया समिट के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने अमेरिका में आए हरिकेन मिल्टन से हुए जान-माल के नुकसान पर भी शोक व्यक्त किया।
गौरतलब है कि पीएम मोदी दो दिवसीय दौरे पर लाओस में हैं, जहां उन्होंने 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह यात्रा इस लिहाज से भी खास माना जा रहा है क्योंकि इस साल भारत की “एक्ट ईस्ट नीति” के 10 साल पूरे हो रहे हैं। यहां उन्हें एक औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और लाओस सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय से भी मुलाकात की, जो उनसे मिलने के लिए उत्साहित नजर आये।
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने लाओस में रामायण के पारंपरिक प्रदर्शन ‘फलक फलाम’ का भी आनंद लिया, जिसे लुआंग प्राबांग के प्रतिष्ठित रॉयल थिएटर ने प्रस्तुत किया। पीएम मोदी ने इस प्रदर्शन के बाद कहा कि यह देखकर खुशी होती है कि लाओस के लोग अब भी रामायण से जुड़े हुए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे। “