प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने दो दिवसीय गुयाना दौरे की शुरुआत की। पीएम के दौरे को इस लिहाज से भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि 1968 में इंदिरा गांधी के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला दौरा है। इस दौरे का लक्ष्य गुयाना और कैरेबियन देशों के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को और गहरा करना है।
पीएम मोदी गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली और ग्रेनेडा के प्रधानमंत्री डिकन मिशेल के साथ भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करेंगे। इस सम्मेलन में 14 कैरेबियन देशों के नेता शामिल होंगे। इस दौरान राजनीतिक, आर्थिक और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर सहयोग पर चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि कैरिकॉम (CARICOM) कैरेबियन देशों का समूह है। पहला भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन 2019 में हुआ था जिसमें भारत ने जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 150 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता की घोषणा की थी।
कैरिकॉम की सहायक सचिव एलिजाबेथ सोलोमन ने भारत की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भारत छोटे देशों की आवाज उठाने और लोगों के आपसी संबंध मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
पीएम मोदी गुयाना की संसद को करेंगे संबोधित
गुयाना और भारत के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं। गुयाना की लगभग 40% आबादी भारतीय मूल की है, जो 1838 में ब्रिटिश शासन के दौरान गन्ने के खेतों में काम करने आए मजदूरों के वंशज हैं। प्रधानमंत्री मोदी भारतीय मजदूरों की पहली यात्रा की याद में बनाए गए ‘इंडियन अराइवल मॉन्यूमेंट’ पर जाकर श्रद्धांजलि देंगे। इसके साथ ही, वह गुयाना की संसद को संबोधित करेंगे और भारतीय समुदाय से मुलाकात करेंगे।
गुयाना अपने विशाल तेल और गैस भंडार के लिए दुनिया भर में चर्चित है। यहां 11 बिलियन बैरल से अधिक तेल भंडार है, जो कुवैत के भंडार से तीन गुना अधिक है। भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति को विविधता देने की कोशिश कर रहा है, और गुयाना इसमें अहम भूमिका निभा सकता है।
गुयाना के उपराष्ट्रपति भरत जगदेव ने इस दौरे को भारत और गुयाना के ऐतिहासिक मजबूत संबंधों का प्रतीक बताया। 2021-22 में गुयाना और भारत के बीच व्यापार 223.36 मिलियन डॉलर रहा, जिसमें ऊर्जा उत्पादों का बड़ा योगदान था।
गुयाना में भारत कई परियोजनाओं में मदद कर रहा है, जैसे कि 25 मिलियन डॉलर की लागत से बने नेशनल क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण, जो इस साल टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी कर चुका है। इसके अलावा, भारत ने एक ‘सूचना प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र’ स्थापित करने में भी मदद की है।