प्रतिक्रिया | Saturday, February 22, 2025

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मराठी साहित्य सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा- भाषा के नाम पर भेद डालने की कोशिश, भाषाओं को समृद्ध करना, अपनाना, सबका सामूहिक दायित्व

पीएम मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह 71 वर्षों में पहली बार है जब यह प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मेलन राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित किया जा रहा है। 21 से 23 फरवरी तक चलने वाला यह तीन दिवसीय कार्यक्रम मराठी साहित्य की समृद्ध विरासत और समकालीन विमर्श में इसकी उभरती भूमिका का जश्न मनाता है।

मराठी साहित्य के इस सम्मेलन में आजादी की लड़ाई की महक
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन एक भाषा या राज्य तक सीमित आयोजन नहीं है, मराठी साहित्य के इस सम्मेलन में आजादी की लड़ाई की महक है, इसमें महाराष्ट्र और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने कहा, “मैं जब मराठी के बारे में सोचता हूं, तो मुझे संत ज्ञानेश्वर का वचन याद आना बहुत स्वाभाविक है। ‘माझा मराठीची बोलू कौतुके। परि अमृतातेहि पैजासी जिंके। यानी मराठी भाषा अमृत से भी बढ़कर मीठी है। इसलिए मराठी भाषा और मराठी संस्कृति के प्रति मेरा जो प्रेम है, आप सब उससे भली भांति परिचित हैं। मैं आप विद्वानों की तरह मराठी में उतना प्रवीण तो नहीं हूं, लेकिन मराठी बोलने का प्रयास, मराठी के नए शब्दों को सीखने की कोशिश मैंने निरंतर की है।”

भाषा हमारी संस्कृति की संवाहक
आप जानते हैं, भाषा केवल उसके संवाद का माध्यम भर नहीं होती है। हमारी भाषा हमारी संस्कृति की संवाहक होती है। ये बात सही है कि भाषाएं समाज में जन्म लेती हैं, लेकिन भाषा समाज के निर्माण में उतनी ही अहम भूमिका निभाती है। हमारी मराठी ने महाराष्ट्र और राष्ट्र के कितने ही मनुष्यों के विचारों को अभिव्यक्ति देकर हमारा सांस्कृतिक निर्माण किया है।
इस दौरान पीएम ने भाषा को लेकर चल रहे भेदभाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, कई बार जब भाषा के नाम पर भेद डालने की कोशिश की जाती है, तो हमारी भाषाओं की साझी विरासत ही उसका सही जवाब देती है। इन भ्रमों से दूर रहकर भाषाओं को समृद्ध करना, उन्हें अपनाना, ये हम सबका सामूहिक दायित्व है। इसलिए, आज हम देश की सभी भाषाओं को मेन स्ट्रीम लैंग्वेज के रूप में देख रहे हैं। हम मराठी समेत सभी प्रमुख भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं। अब महाराष्ट्र के युवा मराठी में हायर एजुकेशन, इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई वहां का युवा आसानी से कर सकेंगे। अंग्रेजी न जानने के कारण प्रतिभाओं की उपेक्षा करने वाली सोच को हमने बदल दिया है।

उद्घाटन समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (सपा) के प्रमुख शरद पवार, प्रसिद्ध मराठी लेखिका तारा भवालकर और सम्मेलन की अध्यक्ष उषा तांबे की उपस्थिति में पीएम मोदी को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का इतिहास और उद्देश्य
मूल रूप से 1878 में न्यायमूर्ति महादेव गोविंद रानाडे द्वारा पुणे में आयोजित इस सम्मेलन की साहित्यिक विरासत लंबे समय से चली आ रही है। 1954 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इसके उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि थे।

इस सम्मेलन का उद्देश्य भाषा संरक्षण, अनुवाद और डिजिटलीकरण के प्रभाव जैसी आधुनिक साहित्यिक चुनौतियों का समाधान करते हुए “मराठी साहित्य की शाश्वत प्रासंगिकता” को रेखांकित करना है। यह आयोजन मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के हालिया फैसले के बाद हुआ है। सम्मेलन में पैनल चर्चा, पुस्तक प्रदर्शनी, सांस्कृतिक प्रदर्शन और प्रतिष्ठित साहित्यकारों के साथ संवादात्मक सत्रों की एक विविध श्रृंखला शामिल है। उल्लेखनीय रूप से, साहित्य की एकीकृत भावना को प्रदर्शित करने के लिए 1,200 प्रतिभागियों को लेकर पुणे से दिल्ली तक एक प्रतीकात्मक साहित्यिक ट्रेन यात्रा का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में 2,600 से अधिक कविता प्रस्तुतियाँ, 50 पुस्तक लॉन्च और 100 बुक स्टॉल भी शामिल होंगे, जिसमें देश भर के प्रतिष्ठित विद्वान, लेखक, कवि और साहित्य प्रेमी एक साथ आएंगे।

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आखरी अपडेट: 22nd Feb 2025