प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (बुधवार) को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इन चुनावों में हमें देश की जनता की बुद्धिमता पर गर्व होता है। उन्होंने प्रोपेगंडा को परास्त कर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि हम चाहते थे कि पेपर लीक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति न हो, लेकिन विपक्ष को इसकी आदत है। मैं भारत के युवाओं को आश्वस्त करता हूं कि नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिले, इसके लिए एक्शन लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “देश का दुर्भाग्य है कि संवेदनशील मामलों में जब राजनीति होती है, तो देशवासियों को और खासकर महिलाओं को अकल्प पीड़ा होती है। ये जो महिलाओं के साथ होते अत्याचार में विपक्ष का सेलेक्टिव रवैया है, ये सेलेक्टिव रवैया चिंताजनक है।” उच्च सदन में पीएम मोदी ने कहा कि मैं निसंकोच कहना चाहूंगा कि मैंने भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए एजेंसियों को खुली छूट दे दी है। सरकार कहीं भी हस्तक्षेप नहीं करेगी। उन्हें ईमानदारी के लिए ईमानदारी से काम करना चाहिए। मैं नागरिकों से कहना चाहता हूं कि कोई भी भ्रष्टाचारी कानून से बचकर नहीं निकलेगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद राज्यसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित हुआ ।
हमने कृषि को एक व्यापक स्वरूप में देखा
राज्यसभा में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि हमने कृषि को एक व्यापक स्वरूप में देखा है और मछुआरों को भी किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराया है। कांग्रेस के कार्यकाल में 10 साल में एक बार किसानों की कर्जमाफी हुई और किसानों को गुमराह करने का भरसक प्रयास किया गया था और 60 हजार करोड़ की कर्जमाफी का इतना हल्ला मचाया था। उसके लाभार्थी सिर्फ तीन करोड़ किसान थे। गरीब किसान का तो नामो-निशान नहीं था। उनको लाभ पहुंच भी नहीं पाया था।
एजेंसियों को खुली छूट दे दी है
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं निसंकोच कहना चाहूंगा कि मैंने भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए एजेंसियों को खुली छूट दे दी है। सरकार कहीं भी हस्तक्षेप नहीं करेगी। उन्हें ईमानदारी के लिए ईमानदारी से काम करना चाहिए। मैं नागरिकों से कहना चाहता हूं कि कोई भी भ्रष्टाचारी कानून से बचकर नहीं निकलेगा। “
मणिपुर की स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत
मणिपुर की स्थिति पर पीएम मोदी ने कहा कि मणिपुर की स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। वहां जो घटनाएं घटीं, 11 हजार से ज्यादा अफआरआई की गई हैं, 500 से ज्यादा लोग अरेस्ट हुए हैं। इस बात को भी हमें स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में लगातार हिंसा की घटनाएं कम होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मणिपुर में जन-जीवन सामान्य हो चुका हैं। केंद्र और राज्य मिलकर मणिपुर की चिंता कर रहे हैं।
नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिलेगी
पेपर लीक पर पीएम मोदी ने कहा कि हम चाहते थे कि पेपर लीक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति न हो, लेकिन विपक्ष को इसकी आदत है। मैं भारत के युवाओं को आश्वस्त करता हूं कि नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिले, इसके लिए एक्शन लिए जा रहे हैं।
प्रगतिशील नारी नेता भी मुंह पर ताले लगाकर बैठ गए
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि संवेदनशील मामलों में जब राजनीति होती है, तो देशवासियों को और खासकर महिलाओं को अकल्प पीड़ा होती है। ये जो महिलाओं के साथ होते अत्याचार में विपक्ष का सेलेक्टिव रवैया है, ये सेलेक्टिव रवैया चिंताजनक है। मैं किसी राज्य के खिलाफ नहीं बोल रहा हूं और न ही कोई राजनीतिक स्कोर करने के लिए बोल रहा हूं। कुछ समय पहले, मैंने बंगाल से आई कुछ तस्वीरों को सोशल मीडिया पर देखा। एक महिला को वहां सरेआम सड़क पर पीटा जा रहा है, वो बहन चीख रही है। वहां खड़े हुए लोग उसकी मदद के लिए नहीं आ रहे है, वीडियो बना रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जो घटना संदेशखाली में हुई, जिसकी तस्वीरें रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं, लेकिन बड़े बड़े दिग्गज जिनको मैं कल से सुन रहा हूं, पीड़ा उनके शब्दों में भी नहीं झलक रही है। इससे बड़ा शर्मिंदगी का चित्र क्या हो सकता है? जो लोग खुद को प्रगतिशील नारी नेता मानते हैं, वो भी मुंह पर ताले लगाकर बैठ गए हैं क्योंकि घटना का संबंध उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े दल से या राज्य से है।
सत्य का सामना करने का साहस नहीं
बता दें, राज्यसभा में जब पीएम मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोल रहे थे तो विपक्षी सांसदों ने विरोध किया, नारे लगाए और वॉकआउट किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, “देश देख रहा है कि झूठ फैलाने वालों में सच सुनने की ताकत नहीं है। जिनमें सत्य का सामना करने का साहस नहीं है, उनमें इन चर्चाओं में उठे प्रश्नों के उत्तर सुनने का साहस नहीं है। वे उच्च सदन (राज्यसभा) का, उच्च सदन की गौरवशाली परंपरा का अपमान कर रहे हैं।”