प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय थाईलैंड यात्रा गुरुवार से शुरू हो रही है। इस यात्रा से दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को मजबूती मिलने की उम्मीद है। जहां एक ओर भारत का तेजी से बढ़ता बाजार थाईलैंड के निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, वहीं भारतीय कंपनियों का भी थाईलैंड में निवेश बढ़ रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में थाईलैंड की कंपनियों ने भारत के बुनियादी ढांचे, रियल एस्टेट, कृषि प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, खाद्य प्रसंस्करण, होटल उद्योग और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया है। 2021 में, ग्लोबल रिन्यूएबल सिनर्जी कंपनी लिमिटेड ने भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 453.29 मिलियन डॉलर (करीब 37,800 करोड़ रुपये) का सबसे बड़ा निवेश किया था।
गौरतलब है कि भारत और थाईलैंड के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए 2004 में ‘अर्ली हार्वेस्ट स्कीम’ (EHS) लागू की गई थी। इसके तहत 83 उत्पादों पर व्यापार समझौता हुआ था। इसके अलावा, ‘आसियान-भारत व्यापार समझौता’ (AITIGA) ने भी व्यापार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत और आसियान देश वर्तमान में इस समझौते की समीक्षा कर रहे हैं ताकि इसे अधिक सरल और व्यावसायिक रूप से अनुकूल बनाया जा सके।
थाईलैंड के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक 2023 में भारत और थाईलैंड के बीच कुल व्यापार 16.04 अरब डॉलर (लगभग 1.34 लाख करोड़ रुपये) था। इसमें भारत से थाईलैंड को 5.92 अरब डॉलर का निर्यात और थाईलैंड से भारत को 10.11 अरब डॉलर का आयात हुआ।
आसियान देशों में थाईलैंड, भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत से थाईलैंड को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में चांदी और सोना, मशीनरी, धातु के कबाड़ और उत्पाद, रसायन, सब्जियां, दवाएं, मछली उत्पाद, वाहन के कल-पुर्जे, लोहा-इस्पात, इलेक्ट्रॉनिक सामान, चाय, कॉफी और मसाले शामिल हैं।
वहीं, थाईलैंड से भारत को आयात होने वाले मुख्य उत्पादों में वनस्पति तेल, रसायन, पॉलीमर, कीमती पत्थर और आभूषण, लोहा-इस्पात और उनके उत्पाद शामिल हैं।