देश के ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए, भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) की कार्यान्वयन एजेंसी फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया ने प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) के माध्यम से जन औषधि केंद्र खोलने के लिए सहकारी क्षेत्र के साथ साझेदारी की है। यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर 2024 तक, 2690 से अधिक पीएसीएस को प्रारंभिक स्वीकृति दी गई है और पीएसीएस में 687 केंद्र खोले गए हैं।
केंद्र सरकार ने नवंबर, 2008 को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) शुरू की है, जिसके तहत व्यक्तिगत उद्यमियों, गैर सरकारी संगठनों, सोसायटी, ट्रस्ट, फर्म और निजी कंपनियों आदि से आवेदन आमंत्रित करके जन औषधि केंद्र (जेएके) खोले जा रहे हैं। इन केंद्रों को खोलते समय दो केंद्रों के बीच 1 किलोमीटर की दूरी बनाए रखी जाती है।
सभी जिलों से www.janaushadhi.gov.in वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस प्रक्रिया से ब्लॉक के साथ-साथ जिला स्तर पर भी जन औषधि केंद्र (जेएके) खोलना आसान हो गया है। नए जेएके खोलने के लिए कोई राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार लक्ष्य नहीं निर्धारित है।
जन औषधि दवाओं की आपूर्ति केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना के औषधालयों, विभिन्न एम्स, अस्पतालों आदि को उनकी मांग के आधार पर की जा रही है। सभी जेएके मालिक उनके द्वारा की गई मासिक खरीद के 20% की दर से प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं, जिसकी सीमा 20,000 रुपये प्रति माह है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी क्षेत्रों, द्वीप क्षेत्रों और नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों के रूप में उल्लिखित क्षेत्रों में खोले गए जेएके को या महिला उद्यमियों, पूर्व सैनिकों, दिव्यांगों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति द्वारा फर्नीचर, कंप्यूटर, रेफ्रिजरेटर और अन्य फिक्स्चर के लिए समर्थन के रूप में 2.00 लाख रुपये का एकमुश्त प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।