राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को राजस्थान पहुंची, जहां उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान मुर्मु ने अपने भाषण में विश्व शांति, अध्यात्म, ग्लोबल वार्मिंग पर बात करते हुए केंद्र सरकार की योजनाएं स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन और आयुष्मान भारत योजना की सराहना भी की। इससे पहले उन्होंने मान सरोवर परिसर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत पौधारोपण कर 140 करोड़ देशवासियों से पौधारोपण का आहृान किया।
स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज विषय पर आयोजित सम्मेलन में संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज विश्व के अनेकों हिस्सों में अशांति का वातावरण व्याप्त है। मानवीय मूल्यों का हृास हो रहा है। ऐसे समय में शांति और एकता की महत्वता और अधिक बढ़ रही है। शांति केवल बाहर ही नहीं, बल्कि हमारे मन की गहराई में स्थित होती है। जब हम शांत होते हैं, तभी हम दूसरों के प्रति सहानुभूति और प्रेम का भाव रख सकते हैं। इसलिए मन, वचन, कर्म सबको स्वच्छ रखना होगा।
आध्यात्मिकता का अर्थ
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब धार्मिक होना या सांसारिक कार्य का त्याग करना नहीं है। आध्यात्मिकता का अर्थ है अपने भीतर की शक्ति को पहचान कर अपने आचरण और विचारों में शुद्धता लाना है। कर्मों का त्याग करके नहीं कर्मों का सुधार कर ही बेहतर इंसान बन सकता है। स्वच्छता केवल बाहरी वातावरण में नहीं बल्कि हमारे विचारों और कार्यों में भी होना चाहिए। काम, क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा से हमारी आत्मा पर विकारों की मैल चढ़ गई है, जिसे शुद्ध बनाए जाने की जरूरत है। जब आत्मा शुद्ध होगी तो सब शुद्ध हो जाएगा। अगर हम मानसिक और आत्मिक रूप से स्वच्छ नहीं हैं तो हमारी स्वच्छता निष्फल रहेगी।
‘हम ट्रस्टी हैं, हम ऑनर नहीं’
इस दौरान उन्होंने कहा कि विश्व ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण की समस्याओं से जूझ रहा है। इससे बचाने के प्रयास करना चाहिए। मनुष्यों को यह समझना चाहिए कि वह इस धरती का स्वामी नहीं है। बल्कि पृथ्वी के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। हम ट्रस्टी हैं, हम ऑनर नहीं हैं। इसलिए ट्रस्टी के रूप में इस धरती, इस प्लेनेट को हम लोगों को उसी दिशा में संभालना है, आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस सम्मेलन के एक सत्र में क्लाइमेट चेंज का सामना करने के उपायों पर भी चर्चा होगी। मनुष्य की पापुलेशन बढ़ रही है उसी हिसाब से पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं। भारत सरकार ने 140 करोड़ लोगों से अनुरोध किया है कि अपनी मां के नाम पर या अपने जन्मदिन पर हर साल एक पेड़ जरूर लगाएं तो परिस्थिति सुधरती है।